सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कआईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: भाजपा ने महाराष्ट्र की रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट से केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को टिकट दिया है। महाविकास अघाड़ी यानी कांग्रेस, उद्धव की शिवसेना और शरद पवार की NCP ने अभी तक इस सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारा है। फिलहाल इस सीट से उद्धव गुट के विनायक राउत विधायक हैं।

असम में जेपी नड्डा बोले- 10 साल में जितनी बार पीएम नॉर्थ-ईस्ट आए, उतने सारे पीएम मिलकर भी नहीं आए

केरल के कन्नूर बोले राहुल गांधी- कोरोना के समय जब लोग मर रहे थे, पीएम थाली बजवा रहे थे

पश्चिम बंगाल की तीन सीटों पर कल चुनाव, जलपाईगुड़ी में तैयारियां जारी

सुप्रिया सुले ने बारामती से नामांकन दाखिल किया; भाई अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार से होगा मुकाबला

अजित पवार की पत्नी और सुप्रिया की भाभी आज बारामती से नॉमिनेशन फाइल करेंगी, दगडूसेठ मंदिर में पूजा की

अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार आज बारामती से अपना लोकसभा सीट के लिए नॉमिनेशन फाइल करेंगीं। इससे पहले उन्होंने पुणे के श्रीमंत दगडूसेठ हलवाई मंदिर में पूजा की। सुनेत्रा पवार NCP शरदचंद्र पवार पार्टी की उम्मीदवार सुप्रिया सुले के खिलाफ कैंडिडेट हैं।

अजित और सुप्रिया चचेरे भाई-बहन हैं। इस रिश्ते से सुप्रिया और सुनेत्रा ननद-भाभी हैं। बारामती सीट 57 सालों से पवार परिवार का गढ़ माना जाता है। शरद पवार ने 1967 में पहली बार बारामती से विधानसभा चुनाव जीता था। वे 1972, 1978, 1980, 1985 और 1990 के विधानसभा चुनाव में यहां से लगातार जीते।

इसके बाद शरद 1991, 1996, 1998 और 2004 में बारामती से लगातार सांसद चुने गए। ​​​​​उन्होंने ​2009 में अपनी बेटी सुप्रिया को ये सीट सौंप दी थी। सुप्रिया ने 2009, 2014 और 2019 में यहां से जीत दर्ज की। सुनेत्रा पहली बार चुनाव में उतरी हैं।

2005 में शिवसेना से अलग होकर कांग्रेस में शामिल हुए थे नारायण राणे

नारायण राणे ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के साथ की थी। शुरुआत में उन्हें सेना की शाखा संभालने की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद वह शिवसेना से पार्षद और एमएलए चुने गए। महाराष्ट्र में श‌िवसेना की सरकार के दौरान राणे 1999 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। श‌िवसेना के वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया था।

नारायण राणे जुलाई 2005 तक शिवसेना में थे और विधानसभा में नेता विपक्ष थे। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली। 2008 के मुंबई हमले के बाद जब महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने रिजाइन दिया तो सोनिया गांधी ने अशोक चव्हाण को मुख्यमंत्री बना दिया।

इससे नारायण राणे नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया गया था। इन आरोपों के बाद कांग्रेस ने उन्हें निष्कासित कर दिया। तब नारायण राणे ने माफी मांगी, जिसके बाद उनका निष्कासन रद्द किया गया। उन्हें पृथ्वीराज चौहान की कैबिनेट में उद्योग मंत्री बनाया गया, हालांकि उन्होंने जुलाई 2014 में पार्टी लीडरशिप से अनबन के चलते कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।

2016 में कांग्रेस ने उन्हें महाराष्ट्र विधान परिषद का सदस्य बनाया, हालांकि कांग्रेस और नारायण राणे के बीच दरार कम नहीं हुई। सितंबर 2017 में राणे ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। अक्टूबर 2017 में उन्होंने महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष नाम की पार्टी बनाई और अक्टूबर 2019 में पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया।