मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ की नाकामी की वजह से देशवासी भुखमरी जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। हाल ही में पाकिस्तान में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद से देश के हालात बहुत बिगड़ गए हैं। एक तरफ शहबाज सरकार ने देश की इस हालत के पीछे ग्लोबल वार्मिंग और बाढ़ को जिम्मेदार ठहराया तो दूसरी ओर पाकिस्तानी मीडिया इससे इत्तेफाक नहीं रखता। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वास्तविकता यह है कि बाढ़ के बाद पाक सरकार चाहती तो स्थिति सुधर सकती थी लेकिन, उन्हें तो अपने राजनीतिक ‘नौटंकी’ से फुरसत कहां थी? पाक मीडिया ने इमरान खान को भी इसके लिए कोसा है।

पाकिस्तान दशकों की सबसे खराब स्थिति का सामना कर रहा है। जब पाकिस्तान की आवाम के लिए इस विनाशकारी बाढ़ की जब खतरे की घंटी बजी तो शहबाज सरकार और विपक्ष की इमरान खान सरकार राजनीतिक शोर-शराबे में बिजी थी।

राजनीतिक नौटंकी में बिजी शहबाज-इमरान

जून के मध्य से पाकिस्तान में अभूतपूर्व बारिश शुरू हुई। 25 अगस्त को सरकार द्वारा आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी गई थी। इसके तुरंत बाद, अचानक आई बाढ़ से लोगों की जान जाने लगी तो पाकिस्तान में राजनीतिक दलों ने अपने जनसंपर्क अभियान चलाने शुरू कर दिए। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पल-पल मर रहे लोगों की जिंदगी बचाने के ऐवज पर राजनीतिक स्टंट रचा। खान ने लाखों रुपये जुटाने के खोखले दावे किए।
द नेशन की रिपोर्ट के अनुसार, इमरान खान द्वारा एकत्र की गई राशि के खर्च पर सार्वजनिक डोमेन में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत (पूर्व में नॉर्थवेस्ट फ्रंटियर प्रांत) में नौशेरा और पड़ोसी चारसद्दा शहर और उनके उपनगर अभूतपूर्व बाढ़ की चपेट में आने वाले पहले प्रमुख समुदाय थे। इस गर्मी में अचानक आई बाढ़ ने लगभग 70 लाख से ज्यादा (सरकारी आंकड़ा) बेघर कर दिए। वास्तविक संख्या सरकारी आंकड़ों की तुलना में बहुत अधिक है।

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