सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: दिल्ली हाईकोर्ट ने एविएशन रेगुलेटर डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) को गो फर्स्ट के लीज पर लिए गए सभी 54 विमानों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने DGCA को अगले 5 वर्किंग डे में गो फर्स्ट की ओर से लीज पर लिए गए विमानों का डीरजिस्ट्रेशन प्रोसेस आगे बढ़ाने के लिए कहा है।

न्यायमूर्ति तारा वितास्ता गंजू की सिंगल-जज बेंच ने यह आदेश बीते दिन यानी शुक्रवार को दिए हैं। हाईकोर्ट ने एयरलाइन और उसके डायरेक्टर्स के मैनेजमेंट के लिए दिवाला कानून के तहत अपॉइंटेड रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (RP) को विमानों या कलपुर्जों, दस्तावेजों, रिकॉर्ड और किसी भी अन्य सामग्री को ले जाने या कहीं रखने से भी रोक दिया है।

कंपनियों ने विमानों को रिलीज करने की मांग की थी

एयरक्राफ्ट लीजिंग कंपनियों में पेमब्रोक एविएशन, एक्सिपिटर इनवेस्टमेंट्स एयरक्राफ्ट्स 2 लिमिटेड, EOS एविएशन और SMBC एविएशन शामिल हैं। कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उन विमानों को रिलीज करने की मांग की थी, जो गो फर्स्ट को लीज पर दिए गए थे। NCLAT ने 22 मई को NCLT के उस ऑर्डर को भी सही ठहराया था, जिसके तहत दिवालिया घोषित करने के लिए गो फर्स्ट की याचिका स्वीकार की गई थी।

पूरा मामला समझें

गो फर्स्ट एयरलाइन ने 2 मई को बताया कि वो 3, 4 और 5 मई के लिए अपनी सभी फ्लाइट कैंसिल कर रही है।

3 मई को एयरलाइन स्वैच्छिक दिवालिया याचिका के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी NCLT पहुंच गई।

गो फर्स्ट एयरलाइन की याचिका पर NCLT ने 4 मई को सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था।

फ्लाइट सस्पेंशन को 9 मई किया गया। फिर कई बार इसे बढ़ाया गया। अभी फ्लाइट 10 जुलाई तक सस्पेंड है।

10 मई को NCLT ने एयरलाइन को राहत देते हुए मोरेटोरियम की मांग को मान लिया और IRP नियुक्त किया।

एयरलाइन पर लेनदारों का 11,463 करोड़ रुपए बकाया

गो फर्स्ट ने अपनी एप्लिकेशन में कहा था कि उसने अप्रैल 2020 से अब तक अपने लेनदारों को 19,980 करोड़ रुपए का पेमेंट किया है। अब उसके सभी फाइनेंशियल रिसोर्स खत्म हो चुके हैं। बैंकों, वित्तीय संस्थानों, वेंडर्स और एयरक्राफ्ट लेजर्स सहित अन्य लेनदारों को उसे 11,463 करोड़ रुपए देना है। गो फर्स्ट ने कहा कि वित्तीय दबाव के कारण फ्यूल सप्लायर सहित अन्य सर्विस प्रोवाइडर उसे अपनी सर्विसेस ऑफर करने को तैयार नहीं हैं।