सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: भारत आ रहे एक जहाज पर शनिवार को लाल सागर में मिसाइल अटैक हुआ है। इसकी जिम्मेदारी यमन के हूती विद्रोहियों ने ली है। जहाज का नाम अंड्रोमेडा स्टार बताया गया है। ये तेल लेकर भारत आ रहा था। शिप के मास्टर ने जानकारी देते हुए बताया है कि हमले में जहाज को मामूली नुकसान पहुंचा है।

अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमांड के मुताबिक घटना शुक्रवार शाम 5 बजकर 49 मिनट पर हुई। जहाज ब्रिटेन का है, जिस पर एंटीगुआ और बारबाडोस का झंडा लगा था। अटैक के बावजूद जहाज अपने रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। इसने रूस के प्रिमोर्स्क से यात्रा शुरू की थी और ये गुजरात के वाडीनार पहुंचने वाला था।

जहाज पर कई मिसाइलों के साथ 2 बार हमले हुए

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत आ रहे जहाज पर 2 बार हमले हुए। इस दौरान हूतियों ने कई मिसाइलें दागीं। हालांकि, पहले हमले में दागी गई मिसाइलें जहाज पर न गिरकर उसके नजदीक समुद्र में गिरीं। दूसरे हमले में जहाज को नुकसान पहुंचा।

लाल सागर में जहाज पर हमला कई दिनों की शांति के बाद अचानक हुआ है। इससे पहले इजराइल के साथ तनाव के बीच ईरान ने भारत आ रहे एक जहाज को होर्मुज पास से कब्जे में ले लिया था। ईरान ने कहा था कि वे बिना मंजूरी उनकी समुद्री सीमा में घुसा था। जहाज के क्रू मेंबर्स में 17 भारतीय और 2 पाकिस्तानी भी थे।

ईरान ने पाकिस्तान के 2 नागरिकों और भारत की एक महिला क्रू मेंबर को छोड़ दिया। जबकि बाकी 16 भारतीय अभी भी ईरान की कैद में हैं।

हूतियों ने शुक्रवार को सिर्फ भारत आ रहे जहाज ही नहीं, बल्कि अमेरिका के MQ-9 रीपर ड्रोन को भी अपना निशाना बनाया। हूतियों ने यमन के सादा प्रोविंस में ड्रोन को मिसाइल अटैक से मार गिराया है।

हूतियों के हमले से भारत को नुकसान

ग्लोबल ट्रेड का करीब 12% और 30% कंटेनर ट्रैफिक हर साल लाल सागर के स्वेज कैनाल से होकर गुजरता है। हूती विद्रोहियों के हमलों से यूरोप और एशिया के बीच मुख्य मार्ग पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार को समस्‍याओं का सामना करना पड़ रहा है।

भारत का 80% व्यापार समुद्री रास्ते से होता है। वहीं 90% ईंधन भी समुद्री मार्ग से ही आता है। समुद्री रास्ते में हमले से भारत के कारोबार पर सीधा असर पड़ता है। इससे सप्लाई चेन बिगड़ने का खतरा है। हूतियों से निपटने के लिए अमेरिका ने करीब 10 देशों के साथ मिलकर एक गठबंधन भी बनाया है, जो लाल सागर में हूतियों को रोकने और कार्गो शिप्स को हमले से बचाने का काम कर रहा है।