सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह मरीजों के सर्वांगीण स्वास्थ्य के लिए इलाज की सभी विधाओं एलोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी, योग, सिद्धा अथवा होमियोपैथी के विकास हेतु प्रयासरत रहते हैं । उनके इन्ही प्रयसों से एम्स भोपाल में उच्च स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध हैं। ऐसी ही एक विधा है आयुर्वेद । आयुर्वेद में एक चिकित्सा पद्धति है शिरोधारा, जिसकी उत्पत्ति हजारों साल पहले भारत में हुई थी। यह मरीज के शरीर में जीवन शक्तियों, जिन्हें दोष कहा जाता है, को पुनर्संतुलित करने पर केंद्रित है।
ऐसी ही एक कहानी है 46 वर्षीय नमन (बदला हुआ नाम) की। जिन्हे पिछले 6 सालों से रात में ठीक से नींद नहीं आती थी। सारी रात करवटें लेते बीत जाती थी। नींद की गोलियां भी ली। पर जब तक दवा कहते तब तक तो ठीक पर बाद में फिर वही “ढाक के तीन पात”। आखिरकार, एम्स भोपाल के आयुष विभाग में डॉ दानिश जावेद को ओपीडी में दिखाया। उन्होंने नमन को शिरोधारा करवाने की सलाह दी। केवल एक महीने के इलाज के बाद ही मरीज की स्थिति में काफी बदलाव आने लगा। लगभग 3 महीने चले इलाज के बाद नमन अब रातों में चैन की नींद लेते हैं।
शिरोधारा एक आयुर्वेदिक उपचार तकनीक है जिसमें रोगी के माथे पर औषधीय तेल, दूध या छाछ गिराया जाता है। शिरोधारा दो संस्कृत शब्दों – शिरो (सिर) और धारा (प्रवाह) से बना है। जिसमें रोगी के माथे पर तरल – आमतौर पर तेल, दूध, छाछ, या पानी – डालना शामिल है। इसे अक्सर शरीर, खोपड़ी या सिर की मालिश के साथ किया जाता है। यह जड़ी-बूटियों से संसाधित तेल, दूध या छाछ ऐसे बर्तन में डाल दिया जाता है, जिसके नीचे बीच में एक छोटा-सा छेद होता है उसी छेद से तेल माथे पर (दोनों आई-ब्रो के बीच) गिराया जाता है। आंखों को
बचाने के लिए उसे पट्टी से ढक दिया जाता है । शिरोधारा का शरीर और दिमाग पर आरामदायक, सुखदायक और शांत प्रभाव पड़ता है। शोध से यह भी पता चलता है कि शिरोधारा थकान कम करता है, नींद संबंधी समस्याओं में फायदेमंद, सिरदर्द में सुधार, तनाव, चिंता और अवसाद को कम करता है, एकाग्रता में सुधार और ब्लड-प्रेशर को कम करने में सहायक होता है। पिछले केवल एक माह में लगभग 70 मरीजों ने इसका लाभ उठाया।