सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: ओरल कैंसर स्क्रीनिंग के लिए आयोजित किए जा रहे विशेष शिविर में ऑटोफ्लोरेंस आधारित उपकरण Velscope एवं GOCCLES द्वारा 1207 लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। जिनमें से 291 लोगों में ओरल कैंसर के प्रारंभिक लक्षण पाए गए हैं। यह विशेष शिविर जिला चिकित्सालय भोपाल में पहली बार आयोजित हो रहा है। अस्पताल के डेंटल विंग में यह जांच नि:शुल्क की जा रही है। इस जांच के माध्यम से ओरल कैंसर को शुरुआती अवस्था में ही डायग्नोसिस किया जा सकता है जिससे देरी से डायग्नोस होने के कारण होने वाली विरूपता एवं अन्य परेशानियों से बचा जा सकता है। स्क्रीनिंग दंत रोग विशेषज्ञों द्वारा प्रतिदिन की जा रही है। जिला चिकित्सालय में उपलब्ध इस विशेष जांच के संबंध में अस्पताल प्रबंधक प्रेमचंद गुप्ता, मोबाइल नम्बर – 8319749060 पर संपर्क किया जा सकता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल प्रभाकर तिवारी ने बताया कि शिविर में जिन लोगों में ओरल कैंसर के प्रारंभिक लक्षण पाए गए हैं उनका फॉलोअप किया जा रहा है। 3 मरीजों को बायप्सी के लिए रेफर किया गया है। तंबाखू उत्पादों जैसे गुटखा, खैनी, जर्दा, बीड़ी, सिगरेट का उपयोग करने वालों में ओरल कैंसर होने की आशंका अन्य लोगों से बहुत अधिक होती है। इसलिए इन लक्षणों वाले लोगों को आवश्यक रूप से स्क्रीनिंग करवाते रहना चाहिए।
असंचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत कैंसर स्क्रीनिंग एवं उपचार की सुविधा नि:शुल्क है। मुंह में सफेद अथवा लाल चकत्ता या घाव होना, मुंह की किसी जगह की त्वचा का कड़ा होना, चबाने, निगलने या बोलने में कठिनाई होना, मुंह खोलने में कठिनाई होना, आवाज में परिवर्तन होना आदि ओरल कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। ओरल कैंसर मुंह के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। जिनमें मसूड़े, जीभ, गालों के अंदर या होंठ शामिल हैं। वर्तमान में देश में हर साल 12 ये 13 लाख लोगों की मृत्यु तंबाकू से होने वाली बीमारियों से होती है । तंबाखू से कई तरह के कैंसर का खतरा होता है। मुंह के कैंसर के प्रकरण सर्वाधिक भारत ही हैं । भारत में कैंसर के कुल पीड़ितों में 18 से 20 प्रतिशत लोगों को ओरल कैंसर होता है। तंबाकू में मौजूद निकोटीन शरीर में जहर की तरह कार्य करता है। अतः यह नागरिकों के हित में है कि वे स्वयं तंबाकू व तंबाकू उत्पादों के सेवन से दूर रहें तथा बच्चों व किशोरों को इसकी तरफ़ जाने से रोकें। किसी भी तरह की शंका होने या लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सकीय जाँच अवश्य करायें।