सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: देश में चुनाव इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (EVM) से ही होंगे, बैलेट पेपर से नहीं। इसके अलावा EVM से VVPAT स्लिप की 100% क्रॉस-चेकिंग भी नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इन मामलों से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दीं।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि हमने प्रोटोकॉल, तकनीकी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की है। इसके बाद हमने एक मत से फैसला दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के 2 निर्देश

पहला: सिंबल लोडिंग प्रक्रिया के पूरा होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट को सील कर दिया जाए। सील की गई सिंबल लोडिंग यूनिट को 45 दिन के लिए स्टोर किया जाए।

दूसरा: रिजल्ट की घोषणा के बाद अगर दूसरे या तीसरे नंबर पर आए किसी कैंडिडेट को आपत्ति है तो वह 7 दिन के भीतर शिकायत करे। EVM के भीतर माइक्रोकंट्रोलर की मेमोरी की जांच इंजीनियर्स की टीम करेगी। इस शिकायत के बाद वेरिफिकेशन की प्रोसेस का खर्च कैंडिडेट ही उठाएगा। अगर जांच में पता चलता है कि EVM से छेड़छाड़ की गई है तो जो खर्च कैंडिडेट ने किया है, उसे रिएंबर्स कर दिया जाएगा।

चुनाव आयोग के लिए सुप्रीम कोर्ट के 2 डायरेक्शन

  1. इलेक्ट्रॉनिक मशीन से पेपर स्लिप की गिनती के सुझाव का परीक्षण कीजिए।
  2. देखिए कि क्या चुनाव निशान के अलावा हर पार्टी के लिए बारकोड भी हो सकता है।

24 अप्रैल को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था

इससे पहले 24 अप्रैल को 40 मिनट की सुनवाई के बाद बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि हम मेरिट पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रहे हैं। हम कुछ निश्चित स्पष्टीकरण चाहते हैं। हमारे कुछ सवाल थे और हमें जवाब मिल गए हैं। फैसला सुरक्षित रख रहे हैं। 18 अप्रैल: कोर्ट ने EC से पूछा था- क्या वोटर्स को VVPAT पर्ची नहीं दी जा सकती

इससे पहले 18 अप्रैल को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने 5 घंटे वकीलों और चुनाव आयोग की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या वोटिंग के बाद वोटर्स को VVPAT से निकली पर्ची नहीं दी जा सकती है।

इस पर चुनाव आयोग ने कहा था वोटर्स को VVPAT स्लिप देने में बहुत बड़ा रिस्क है। इससे वोट की गोपनीयता से समझौता होगा और बूथ के बाहर इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल दूसरे लोग कैसे कर सकते हैं, हम नहीं कह सकते। 16 अप्रैल की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने भूषण से कहा था- जर्मनी के एग्जाम्पल यहां नहीं चलते

16 अप्रैल को हुई सुनवाई में एडवोकेट प्रशांत भूषण ने दलील दी कि VVPAT की स्लिप बैलट बॉक्स में डाली जाएं। जर्मनी में ऐसा ही होता है। इस पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि वहां के एग्जाम्पल हमारे यहां नहीं चलते। इसके अलावा कोर्ट ने चुनाव आयोग से EVM के बनने से लेकर डेटा से छेड़छाड़ की आशंका तक हर चीज के बारे में बताने को कहा था।