हालिया सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि भारत में 92% लोग सार्वजनिक स्थलों को धूम्रपान-मुक्त बनाने का समर्थन करते हैं। यह आंकड़ा बताता है कि अब धूम्रपान पर सख्त नियम लागू करने का समय आ गया है। सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान न केवल वहां मौजूद सभी व्यक्तियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता है, बल्कि विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को इससे गंभीर श्वास संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
धूम्रपान के सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव के मद्देनजर, भारत में कई राज्यों ने समय-समय पर कानून बनाए हैं, लेकिन उनका कार्यान्वयन अधूरा है। इस संदर्भ में यह आवश्यक हो गया है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर ऐसे नियम बनाएँ जो सख्त और प्रभावी हों। यह सर्वे एक सकारात्मक संकेत है कि जनता भी सख्ती की इस दिशा में पूरी तरह से समर्थन देने के लिए तैयार है। सख्त कानूनों से न केवल तंबाकू के सेवन में कमी लाई जा सकती है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी स्वस्थ वातावरण देने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
अतः धूम्रपान-मुक्त सार्वजनिक स्थान केवल कानून नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक बदलाव का हिस्सा बनना चाहिए। शिक्षण संस्थानों, स्वास्थ्य संगठनों, और मीडिया को इस संदेश का प्रसार करना चाहिए ताकि लोग जागरूक हों। यह कदम न केवल स्वास्थ्य सुधार की दिशा में बल्कि सामाजिक जागरूकता में वृद्धि का भी प्रतीक बनेगा।

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