सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में केन्द्रीय राज्यमंत्री (जनजातीय मामले) दुर्गादास उइके ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन पूर्व लोकमंथन का शुभारंभ किया।
सम्मेलन में तीन पद्मश्री से सम्मानित हस्तियां सुश्री यानु लेगो, लक्ष्मी कुट्टी, अर्जुन सिंह धुर्वे का विशेष रुप से उपस्थित थे, जिनका सम्मान केन्द्रीय राज्यमंत्री उइके द्वारा शॉल एवं स्मृति चिन्ह देकर किया गया। इससे पहले एक पेड़ मां के नाम अभियान के अंतर्गत केन्द्रीय राज्यमंत्री उईके एवं जे. नंदकुमार द्वारा तटीय ग्राम प्रदर्शनी के दो नारियल के पेड़ भी लगाए गए ।
इसके बाद पांच दिवसीय जनजातीय वैद्य शिविर एवं कार्यशाला का भी शुभारंभ निदेशक उइके द्वारा किया गया । इस अवसर पर आसाम एवं मिज़ोरम के जनजातीय समाज ने निदेशक उइके का दुशाला देकर सम्मान किया। सम्मेलन में शोध सारांश की बुकलेट का भी विमोचन किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय राज्यमंत्री (जनजातीय मामले) दुर्गादास उइके ने कहा कि जनजातीय समाज प्रकृति के पूजक हैं ।निदेशक उइके ने पूर्व लोकमंथन की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह आयोजन राष्ट्रीय चेतना को जगाने का काम कर रहा है ।
अपने उद्बोधन में उन्होंने जनजातीय समाज के विभिन्न उदाहरण दिए, जिनमें भगवान राम द्वारा सबरी के झूठे बेर खाना, पांडव के वनवास और उनका जनजातीय समाज के बीच रहना, भीम की हिडम्बा से शादी करना, बेटे घटोत्कक्ष का जन्म, उसके बाद बेटे बर्बरीक का जन्म एवं बर्बरीक की वीरता और खाटू श्याम के नाम से उनका विख्यात हो जाना। सम्राट घनानंद से बदला लेने के लिए और रणनीति बनाने के लिए चाणक्य का जनजातीय समाज के बीच रहना और उनकी सहायता लेना । पूर्व लोकमंथन को प्रेरणादाई बताते हुए उन्होंने सम्मेलन में आए सभी लोगों से भारत को स्वर्णिम राष्ट्र बनाने की अपील की। अखिल भारतीय प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार ने कहा कि भारत की संवाद परंपरा पश्चिम से पूर्व की है । उन्होंने कहा कि लोक यानी ओरिजनालिटी है । उन्होंने सनातनी कॉन्टेपरी दृष्टि पर विचार व्यक्त करते हुए भाग्यनगर में होने वाले लोकमंथन के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी दी। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु के.जी. सुरेश ने पारंपरिक चिकित्सा को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाए जाने की बात कही । उन्होंने शोध के विभिन्न वैज्ञानिक मापदंडों(पैरामीटर्स) पर विशेष प्रकाश डाला ।