सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: आज के इस एपिसोड में हम प्राकृतिक खेती की महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे। प्राकृतिक खेती एक ऐसी कृषि पद्धति है जो रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य सिंथेटिक इनपुट्स का उपयोग नहीं करती। इसके बजाय, यह प्राकृतिक संसाधनों और प्रक्रियाओं का सहारा लेकर मिट्टी की उर्वरता और फसल की पैदावार को बढ़ावा देती है।
प्राकृतिक खेती के प्रमुख सिद्धांत:
– **रासायनिक इनपुट्स का परित्याग:** यह सिद्धांत प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करता है और कृषि के लिए हानिकारक रसायनों से दूर रहता है।
– **मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना:** स्वस्थ मिट्टी, स्वस्थ फसल का आधार है। प्राकृतिक खेती में मिट्टी की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता है।
– **जैव विविधता का प्रोत्साहन:** विभिन्न प्रकार की फसलों को उगाने से पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बना रहता है।
– **स्थानीय संसाधनों का उपयोग:** यह सिद्धांत स्थानीय संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देता है, जिससे किसानों को फायदा होता है।
वीरजी साहिब ने कहा है, “जब हम प्रकृति के सिद्धांतों का पालन करते हैं, तो हम न केवल अपने लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक स्वस्थ भविष्य का निर्माण करते हैं।”
प्राकृतिक खेती के लाभ:
– **पर्यावरण संरक्षण:** यह विधि पर्यावरण को सुरक्षित रखती है और पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाती है।
– **किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार:** प्राकृतिक खेती से उत्पादन लागत कम होती है, जिससे किसानों की आय बढ़ती है।
– **उपभोक्ताओं के लिए स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ:** जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग उपभोक्ताओं को स्वास्थ्यवर्धक विकल्प प्रदान करती है।
वीरजी साहिब का संदेश है, “जब हम मिलकर आगे बढ़ते हैं, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।” प्राकृतिक खेती की ओर कदम बढ़ाकर हम एक स्वस्थ और हरित भविष्य की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
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