सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: रोजाना फिजिकल एक्टिविटी करने वाले या रनिंग करने वाले 5 में से 4 लोगों को सही तरह के जूतों की वजह से इंजरी होती है। अपने पैरों के मूवमेंट और आर्च अलाइनमेंट के अनुसार जूते न पहनने से उन्हें आर्थराइटिस, कमर में दर्द, गर्दन में दर्द या अन्य तरह की समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में कोई अच्छा फिजियोथैरेपिस्ट आपको यह बता सकते है, आपके शरीर के लिए किस तरह के जूते पहनना सही होगा।
यह जानकारी दी यूनाइटेड किंगडम की लिवरपूल यूनिवर्सिटी में कन्सल्टेंट रेडियोलॉजिस्ट के तौर पर कार्यरत (मस्क्युलोस्केलेटल एवं स्पोर्ट्स) डॉ अभिषेक जैन ने। बीएमएचआरसी में ‘मध्यआयु वर्ग में मांसपेशियों और हड्डियों (मस्क्युलोस्केलेटल) की समस्या’ विषय पर आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक मनीषा श्रीवास्तव ने बताया कि संस्थान की महिला कर्मचारियों को उनके स्वास्थ्य संबंधी विषयों के बारे में जागरूक करने के लिए प्रति माह इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। यह कार्यशाला भी ऐसे कार्यक्रमों की शृंखला में एक कड़ी है।
निदेशक सौरभ दीक्षित ने बताया कि गर्दन को एक ही पोश्चर में अधिक समय तक रखने से मस्क्युलोस्केलेटल समस्याएं हो सकती हैं। इसी वजह से बच्चों को 30 मिनट से अधिक तक मोबाइल फोन नहीं देना चाहिए। अधिक देर तक मोबाइल फोन चलाने की वजह से बच्चों में सर्वाइल पेन से ग्रस्त होने का खतरा बढ़ रहा है। आजकल ओपीडी में ऐसे कई माता—पिता अपने बच्चों में गर्दन में दर्द की शिकायत लेकर आते हैं। निदेशक दीक्षित ने बताया कि सर्वाइल की जांच बहुत आसान है। अधिकतर मामलों में इसके लिए सीटी स्कैन या एमआरआई करने की जरूरत नहीं है, सिर्फ एक एक्स—रे से ही सर्वाइल के बारे में पता चल सकता है। बीएमएचआरसी के श्वांस रोग विभाग के विभागाध्यक्ष ललित कुमार ने बताया कि यह आम धारणा है कि बुजुर्गों को ही मस्क्युलोस्केलेटल समस्याएं होती हैं, लेकिन हमारी जीवनशैली की वजह से कम उम्र के लोगों को भी यह समस्या हो रही है।

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