सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन (MAHE), जो एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है और भारत की प्रमुख अनुसंधान-केन्द्रित शैक्षणिक संस्थाओं में से एक है, ने 10 नवंबर को केएमसी ग्रीन्स में प्रेरणादायक अंतिम दिन के साथ अपना 32वां दीक्षांत समारोह संपन्न किया। इस आयोजन में स्नातकों की उपलब्धियों का जश्न मनाया गया और उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता को सम्मानित किया गया। इस सम्माननीय कार्यक्रम में प्रतिष्ठित संकाय सदस्य, विशिष्ट अतिथि, और परिवारजन शामिल हुए जिन्होंने छात्रों की शैक्षिक उपलब्धियों को सम्मानित किया।

यह दीक्षांत समारोह तीन दिनों तक चला, 8 नवंबर से 10 नवंबर तक। प्रत्येक दिन के मुख्य अतिथि क्रमशः प्रोफेसर ममिदाला जगदीश कुमार, अध्यक्ष यूजीसी; डॉ. इंद्रजीत भट्टाचार्य, महानिदेशक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रोबोटिक्स एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (NIRA), नई दिल्ली; और डॉ. राजीव बहल, सचिव, भारत सरकार, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग एवं महानिदेशक, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) रहे।

तीन दिवसीय इस समारोह में 5767 MAHE छात्रों को दीक्षा प्रदान की गई।

विश्वविद्यालय के प्रमुख प्रतिनिधियों में ट्रस्टी श्रीमती वसंती आर. पई, प्रो चांसलर डॉ. एच. एस. बल्लाल, उप कुलपति (सेवानिवृत्त) लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ.) एम. डी. वेंकटेश, प्रो वाइस चांसलर (प्रौद्योगिकी और विज्ञान) डॉ. नारायण सभाहित, प्रो वाइस चांसलर (स्वास्थ्य विज्ञान) डॉ. शरथ के. राव, प्रो वाइस चांसलर डॉ. दिलीप जी. नाइक, रजिस्ट्रार डॉ. पी. गिरीधर किणी, और रजिस्ट्रार (मूल्यांकन) डॉ. विनोद वी. थॉमस शामिल थे। इनके साथ सभी MAHE संस्थानों के प्रमुख भी उपस्थित थे।

दीक्षांत समारोह के पहले दिन, यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर ममिदाला जगदीश कुमार ने छात्रों और अतिथियों को संबोधित करते हुए कहा, “विश्वविद्यालय में मेरी यात्रा के दौरान मैंने विभिन्न विभागों में अद्वितीय नवाचारों को देखा, चाहे वह अत्याधुनिक अनुसंधान हो या उद्यमशील प्रयास। MAHE जैसे संस्थान भविष्य के नेताओं को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो जनसंख्या वृद्धि से लेकर पर्यावरणीय स्थिरता तक के वैश्विक चुनौतियों का सामना करेंगे। 2050 तक, वैश्विक जनसंख्या लगभग 10 अरब तक पहुँच जाएगी, जहाँ हर व्यक्ति स्वच्छ ऊर्जा, सुरक्षित पानी, पौष्टिक भोजन और प्रभावी स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच की आकांक्षा करेगा। इन आवश्यकताओं से संसाधनों पर भारी दबाव पड़ेगा, जो नवोन्मेषी समाधानों की तात्कालिक आवश्यकता को उजागर करता है।”

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