सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: आज हम चर्चा करेंगे कच्चे पपीतों में मिलाए जा रहे जहर के बारे में, जिससे आपको सचेत रहने की आवश्यकता है। बाजार में तेजी से मुनाफा कमाने के चक्कर में कैल्शियम कार्बाइड जैसे खतरनाक रसायनों का उपयोग करके कच्चे पपीतों को कृत्रिम रूप से पकाया जा रहा है। यह केमिकल न केवल कैंसर का कारण बन सकता है, बल्कि इससे कमजोरी, अल्सर और सांस लेने में तकलीफ जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।

कैसे पहचानें कि पपीता सुरक्षित है या नहीं?

  1. त्वचा पर पीले-हरे पैच:
    कृत्रिम रूप से पके पपीतों की त्वचा पर पीले और हरे रंग के पैच दिखाई देते हैं, जबकि प्राकृतिक रूप से पके पपीते में एक समान रंग होता है।
  2. गंध अप्राकृतिक:
    प्राकृतिक पपीते में मीठी और सुखद गंध होती है, जबकि कृत्रिम पके पपीते की गंध तेज़ और अप्राकृतिक हो सकती है।
  3. स्वाद कड़वा या धातु जैसा:
    कृत्रिम रूप से पके पपीते का स्वाद कड़वा या धातु जैसा हो सकता है, जबकि प्राकृतिक पपीता मीठा और स्वादिष्ट होता है।

सुरक्षित रहने के लिए हमेशा प्राकृतिक रूप से पके पपीते ही खरीदें और बाजार से सावधानीपूर्वक फलों का चयन करें। स्वस्थ जीवनशैली के लिए सही फलों का सेवन बेहद जरूरी है।