सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल :    साइंटिस्ट्स की एक टीम ने एक अहम खोज की है जिससे हम ये जान पाएंगे कि नींद हमारे ब्रेन की ताकत को कैसे बढ़ाती है. इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने ये समझाने की कोशिश की है कि माइंड और बॉडी के डेवलपमेंट के लिए स्लीप कितनी जरूरी है |

नींद से बढ़ती है परफॉर्मेंस
पहले किए गए कई रिसर्च में ये बात सामने आ चुकी है कि नींद हमारी कॉग्निटिव परफॉर्मेंस को बढ़ाने का काम करती है. हालांकि अंडरलाइंड न्यूरल मेकेनिज्म, खास तौर से नॉन रैपिड आई मूवमेंट (NREM) नींद से जुड़े तंत्र, काफी हद तक अनदेखे रह गए हैं |
राइस यूनिवर्सिटी (Rice University) और ह्यूस्टन मेथोडिस्ट सेंटर फॉर न्यूरल सिस्टम रिस्टोरेशन (Houston Methodist’s Center for Neural Systems Restoratio) और वेइल कॉर्नेल मेडिकल कॉलेज (Weill Cornell Medical College) के रिसर्चर्स की एक टीम द्वारा की गई एक नई स्टडी का मकसद इस चीज को सामने लाना था |
दिमाग को करे तेज

‘साइंस’ (Science) जर्नल में छपी इस रिसर्च में बताया गया है कि एनआरईएम स्लीप (मिसाल के तौर पर झपकी लेने पर महसूस की जाने वाली हल्की नींद) ब्रेन को तेज करने का काम करती है और इंफॉर्मेशन एन्कोडिंग को बढ़ाती है, जिससे इस नींद के स्टेज पर नई बात सामने निकलकर आती है. रिसर्चर्स ने इनवेसिव स्टिमुलेशन के जरिए इन इफेक्ट्स को दोहराया, जिससे मनुष्यों में भविष्य के न्यूरो-मॉड्यूलेशन थेरेपीज के लिए आशाजनक संभावनाएं सजेस्ट की गईं

ड्रैगोइस लैब (Dragoi’s lab) की पूर्व रिसर्चर और वेइल कॉर्नेल (Weill Cornell) में न्यूरोलॉजिकल सर्जरी की रेजिडेंट डॉ. नताशा खरास (Dr. Natasha Kharas) ने कहा, ”नींद के दौरान, हमारे मस्तिष्क में कई तरह की गतिविधियां देखने को मिलती है. इनमें से कई ब्रेन को आराम करने और फिर से एनर्जी हासिल करने में मदद करती है.”

हालांकि नींद के बाद न्यूरोनल एक्टिविटी नींद से पहले की तुलना में अधिक असंगत (इनकम्पैटिबल) हो गई, जिससे न्यूरॉन्स अधिक स्वतंत्र रूप से सक्रिय हो सके. इस बदलाव के कारण इंफॉर्मेशन प्रॉसेसिंग में एक्यूरेसी और विजुअल टास्क के परफॉर्मेंस में सुधार हुआ.

क्या आया रिजल्ट?

निष्कर्षों से पता चला कि नींद से विजुअल टास्क में पशुओं के प्रदर्शन में सुधार हुआ तथा साथ ही घूमती हुई तस्वीरों को पहचानने में सटीकता भी बढ़ी. अहम बात ये है कि ये सुधार सिर्फ उन लोगों में ही था जो वास्तव में सो गए थे. वहीं जो लोग नहीं सोए थे उनका प्रदर्शन एक जैसा रहा.

राइस यूनिवर्सिटी (Rice University) के इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग के प्रोफेसर वैलेन्टिन ड्रागोई (Valentin Dragoi) ने कहा, “ये खोज अहम है क्योंकि ये बताती है कि नींद के कुछ लाभकारी प्रभाव, जैसे मस्तिष्क की मरम्मत और प्रदर्शन में सुधार, वास्तविक नींद के बिना भी हासिल किए जा सकते हैं.”

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