सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के पूर्व अध्यक्ष एवं शिक्षा बचाओ आन्दोलन के राष्ट्रीय संयोजक दीनानाथ बत्रा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है।
निदेशक परमार ने कहा कि शिक्षा में भारतीयता के ध्वजवाहक श्रद्धेय दीनानाथ बत्रा के निधन से भारतीय ज्ञान परम्परा का एक दीप्तिमान नक्षत्र अस्त हो गया। निदेशक परमार ने कहा कि दिवंगत श्री बत्रा एक प्रेरणादायक शिक्षक, महान शिक्षाविद्, अपना सर्वस्व शिक्षा को समर्पित करने वाले एवं शिक्षा में भारतीयता के सच्चे साधक थे। उनका जाना शिक्षा जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
निदेशक परमार ने कहा कि भारतीयता के मूल और भारतीय ज्ञान परम्परा को अनिवार्य रूप से आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना ही, दिवगंत निदेशक दीनानाथ को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
शिक्षा में भारतीयता के ध्वजवाहक श्रद्धेय निदेशक दीनानाथ बत्रा की अनन्त यात्रा
श्रद्धेय दीनानाथ बत्रा का जन्म 5 मार्च 1930 को डेरा गाजीखान में हुआ था, जो अब वर्तमान पाकिस्तान में है। निदेशक बत्रा ने लाहौर विश्वविद्यालय में पढ़ाई के बाद उन्होंने अध्यापन कार्य शुरू किया। निदेशक बत्रा कुरुक्षेत्र के श्रीमद भागवत गीता कॉलेज में प्रधानाचार्य भी रहे।
आदरणीय बत्रा ‘शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति’ के माध्यम से शिक्षा में बदलाव के आंदोलन के ध्वजवाहक रहे। वे वर्ष 1955 से 1965 डी.ए.वी. विद्यालय डेराबस्सी पंजाब तथा गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, कुरुक्षेत्र में सन् 1965 से 1990 तक प्राचार्य रहे। उन्होंने हरियाणा शिक्षा बोर्ड की पाठ्य योजना, दिल्ली शिक्षा बोर्ड, दिल्ली शिक्षा कोड समिति, दिल्ली नैतिक-शिक्षा समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया।
हरियाणा अध्यापक संघ के महामंत्री के रूप में कार्य किया। अखिल भारतीय हिंदुस्तान स्काउट्स गाइड के कार्यकारी अध्यक्ष रहे। विद्या भारती अखिल भारतीया शिक्षण-संस्थान के राष्ट्रीय संस्थान के राष्ट्रीय महामंत्री तथा उपाध्यक्ष रहे। श्री बत्रा विद्याभारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में राष्ट्रीय शिक्षा के सुधार हेतु सतत प्रयासरत रहे। वे पंचनद शोध-संस्थान के निदेशक एवं संरक्षक रहे हैं। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे है। भारतीय शिक्षा शोध-संस्थान, लखनऊ की कार्यकारिणी के सदस्य रहे हैं। शिक्षा संस्कृति उत्थान के अध्यक्ष एवं शिक्षा बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक रहे हैं।
आदरणीय दीनानाथ बत्रा ने बहुत सी पुस्तकों की रचना की है। शिक्षा का भारतीयकरण, तेजोमय भारत, प्रेरणादीप – भाग १, २, ३ और ४, विद्यालय : प्रवृत्तियों का घर, शिक्षण में त्रिवेणी, शिक्षा परीक्षा तथा मूल्यांकन की त्रिवेणी, वैदिक गणित, आचार्य का आचार्यत्व जागे, वीरव्रत परम सामर्थ्य, आत्मवत् सर्वभूतेषु, माँ का आह्वान, पूजा हो तो ऐसी, हमारा लक्ष्य,विद्यालयों में संस्कारक्षम वातावरण, विद्यालय गतिविधियों का आलय, चरित्र-निर्माण तथा व्यक्तित्व के समग्र विकास का पाठ्यक्रम आदि उनके द्वारा रचित महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं |
दिवंगत बत्रा को शिक्षा विषयक उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए अनेक सम्मान एवं पुरस्कार भी प्राप्त हुए। भारत स्काउट्स, हरियाणा में महामहिम राज्यपाल द्वारा ‘मेडल ऑफ मैरिट’, हरियाणा शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रशंसा प्रमाण-पत्र, श्रेष्ठ शिक्षक हेतु सम्मान,अध्यापन के क्षेत्र में राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार, भारत विकास परिषद् हरियाणा उत्तर क्षेत्र द्वारा प्रशस्ति-पत्र, स्वामी कृष्णानंद सरस्वती सम्मान-2010, बीकानेर सम्मान-पत्र, साहित्य सम्मान-2012 एवं स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती विशिष्ट व्यक्तित्व अलंकरण जैसे सम्मान उन्हें प्राप्त हुए हैं।साथ ही, इससे हमारे स्वास्थ्य प्रणाली की कार्यकुशलता में भी सुधार होगा। यह नया केंद्र मौजूदा केंद्रों की तरह ही उच्च गुणवत्ता की सेवा प्रदान करेगा, जिससे मरीजों के लिए परीक्षण और बिलिंग प्रक्रिया में सहजता आएगी। एम्स भोपाल ने मरीजों के प्रवेश और आउट पेशेंट सेवाओं के बेहतर प्रबंधन के लिए यह कदम उठाया है, जिससे मरीजों की संख्या और सेवा की गति में सुधार होगा। यह उद्घाटन एम्स भोपाल के बुनियादी ढांचे के विस्तार और सेवाओं में सुधार की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जिससे क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवाओं को और सशक्त किया जाएगा।
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