सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह के मार्गदर्शन में, संस्थान एक पांच दिवसीय ‘सिस्टमेटिक रिव्यू और मेटा-एनालिसिस’ कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।
यह कार्यशाला स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (ICMR-DHR) के सारांश (सिस्टेमेटिक एनालिसिस एंड रिसर्च एडवांसमेंट इन नेशनल साइंटिफिक हेल्थ- SARANSH) पहल के तहत आयोजित की गई है, जिसका उद्देश्य भारत में प्रमाण-आधारित चिकित्सा अनुसंधान को बढ़ावा देना है। प्रतिभागियों और विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए प्रो. सिंह ने कहा, “प्रमाण-आधारित चिकित्सा कुशल स्वास्थ्य सेवाओं का एक महत्वपूर्ण आधार है, जो हमें सटीक निर्णय लेने में सक्षम बनाता है और मरीजों के इलाज प्रक्रिया को प्रभावी बनता है। यह कार्यशाला हमारे क्षेत्र में अनुसंधान क्षमताओं को बढ़ाने और सहयोगात्मक शिक्षा को प्रोत्साहित करने के प्रति एम्स भोपाल की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।”
इस कार्यशाला में विभिन्न राज्यों और चिकित्सा क्षेत्रों के प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं, जिन्हें सिस्टमेटिक रिव्यू और मेटा-एनालिसिस के व्यावहारिक कौशल प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। ये कौशल प्रमाण-आधारित अनुसंधान पद्धतियों को मजबूत करने और बेहतर स्वास्थ्य देखभाल प्रथाओं और परिणामों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह कार्यशाला स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, एम्स भोपाल, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर, और किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ के विशेषज्ञों द्वारा संचालित की जा रही हैं। इस दौरान प्रतिभागियों को सिस्टमेटिक रिव्यू की पद्धतियों, मेटा-एनालिसिस तकनीकों और डेटा के प्रभावी विश्लेषण की गहन समझ प्राप्त होगी, जो आज के प्रमाण-आधारित अनुसंधान परिदृश्य में महत्वपूर्ण उपकरण हैं।
कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष अमित अग्रवाल और आयोजन सचिव सैकत दास ने बताया कि सारांश पहल का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान प्रथाओं को प्रोत्साहित करना और भारत-विशिष्ट बीमारियों के लिए प्रमाण-आधारित स्वास्थ्य समाधान विकसित करना है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग-ICMR द्वारा वित्तपोषित यह कार्यशाला भारतीय चिकित्सा पेशेवरों को वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधान में योगदान देने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।