सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: ‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।’ ये पंक्तियां बोलते हुए हिंदी के प्रसिद्व कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र के रूप में नजर आ रहीं टेक्नीशियन श्रीमती संगीता सिंह ने जब सभागार में प्रवेश किया तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। इसके साथ ही मंच पर रामधारी सिंह दिनकर, मैथिलीशरण गुप्त, सुमित्रानंदन पंत, जयशंकर प्रसाद, सुभद्रा कुमारी चौहान और मीराबाई आदि की वेशभूषा में बीएमएचआरसी के कर्मचारी और विद्यार्थी नजर आए। मौका था बीएमएचआरसी में हिन्दी पखवाड़े के अंतर्गत आयोजित फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का। मशहूर फैशन डिजाइनर श्री मुमताज खान प्रतियोगिता के निर्णायक के तौर पर मौजूद थे। प्रतियोगिता में बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता के दौरान माइक्रोबायोलॉजी विभाग में कार्यरत सुरभि राठौड़ मीरा बाई, सुश्री अंजली सतपुते सुभद्राकुमारी चौहान, आईटी विभाग में कार्यरत मृणाली अमृता प्रीतम की वेशभूषा में नजर आईं। इसके अतिरिक्त पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग की स्टूडेंट सोमलता बुंदेला सुमित्रानंदन पंत, किशन लाल मैथिलीशरण गुप्त, खुशांश चंद्र प्रेमचंद, विकास यादव जयशंकर प्रसाद की वेशभूषा में आए।
निर्णायक मुमताज खान ने सभी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हुए मंच पर पहुंचने की हिम्मत कम लोग जुटा पाते हैं। मंच पर परफॉर्म करते हुए जीतना और भी कठिन काम होता है। मैं आज भी जब मंच पर जाता हूं तो अब भी शरीर कांप रहा होता है। रैंप पर इतनी लाइट होती है कि कुछ भी दिखाई नहीं देता। इसके बावजूद भी खुद को कॉन्फिडेंट दिखना पड़ता है। ऐसे में जो लोग प्रोफेशनल आर्टिस्ट नहीं हैं और ऐसी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं, वो बधाई के पात्र हैं। फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में प्रतिभागी को अपनी रंगरूप व वेशभूषा बदलने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। जो प्रतिभागी इस पर विशेष ध्यान देते हैं, वो सबसे अलग नजर आते हैं।