सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) के कार्निया प्रत्यारोपण केंद्र में चिकित्सा क्षेत्र की एक अनूठी उपलब्धि सामने आई है। केरल के एक नेत्र बैंक द्वारा भेजे गए दाता कॉर्निया (नेत्र ऊतक) से दो अलग-अलग मरीजों की आंखों की रोशनी लौटाई गई। यह भोपाल में संभवतः पहला मामला है, जब एक ही कार्निया के दो अलग-अलग भागों का उपयोग कर दो मरीजों को देखने की शक्ति प्रदान की गई है।
इस प्रक्रिया में कॉर्निया के एक भाग से भोपाल के एक निजी अस्पताल में किसी मरीज का सफल प्रत्यारोपण हुआ, जबकि दूसरे भाग से बीएमएचआरसी में एक 66 वर्षीय गैस पीड़ित मरीज को रोशनी मिली। मरीज की एक आंख में पहले से ही मोतियाबिंद का ऑपरेशन असफल हो चुका था, जिससे उसकी रोशनी चली गई थी। वह कॉर्नियल एंडोथीलियल फेल्योर नामक स्थिति से पीड़ित था। इस बीमारी में आंख की सबसे अंदरूनी परत ठीक से काम करना बंद कर देती है और चीज़ें धुंधली दिखने लगती हैं। बीएमएचआसी में नेत्र रोग विभाग के विजिटिंग कंसल्टेंट डॉ. प्रतीक गुर्जर ने नेत्र रोग विभाग की प्रमुख डॉ हेमलता यादव की उपस्थिति में अत्याधुनिक Descemet Membrane Endothelial Keratoplasty (DMEK) सर्जरी की गई। यह एक जटिल तकनीक होती है।
डीएमईके सर्जरी क्या है?
यह एक आधुनिक माइक्रोसर्जरी तकनीक है जिसमें केवल क्षतिग्रस्त एंडोथीलियल परत को हटाकर, स्वस्थ डोनर की परत लगाई जाती है। इस प्रक्रिया में टांकों की जरूरत नहीं होती और मरीज की दृष्टि तेज़ी से लौटती है।
एक कॉर्निया से दो को रोशनी कैसे मिलती है?
कॉर्निया की दो प्रमुख परतें होती हैं — स्ट्रोमा (मध्य परत) और एंडोथीलियम (भीतरी परत)। उन्नत माइक्रोसर्जरी तकनीक के ज़रिए इन दोनों परतों को अलग-अलग कर मरीजों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। हालांकि इसके लिए डोनर के टिशु की गुणवत्ता उपयुक्त होनी चाहिए और दोनों मरीजों की समस्याएं अलग हों और उनकी आवश्यकताएं अलग हों।
निदेशक, बीएमएचआरसी डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने कहा: यह उपलब्धि बीएमएचआरसी के चिकित्सा कौशल और समर्पण की एक मिसाल है। नेत्रदान से जुड़ी जागरूकता और आधुनिक तकनीकों की मदद से अब एक डोनर, दो जीवन बदल सकता है। हम नागरिकों से अपील करते हैं कि वे नेत्रदान को अपनाएं और दूसरों की दुनिया रोशन करने में भागीदार बनें।”

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