सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: बाल विवाह जैसी गंभीर सामाजिक कुप्रथा को रोकने के लिए प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश में “देवउठनी एकादशी” और अन्य विवाह मुहूर्तों पर शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह की संभावना अधिक होती है, इसे रोकने के लिए जन जागरूकता और सख्त कानून का पालन अनिवार्य है।
कलेक्टर ने कहा कि बाल विवाह रोकथाम अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह कराने या उसमें सहयोग देने वाले व्यक्ति, संस्था या संगठन को दो वर्ष तक की सजा अथवा एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। सामूहिक विवाह कार्यक्रमों के आयोजकों से आग्रह किया गया है कि वे अपने कार्यक्रम में बाल विवाह ना होने का शपथ पत्र कलेक्टर कार्यालय और महिला एवं बाल विकास जिला कार्यालय, भोपाल में जमा करें।
प्रशासन ने प्रिंटिंग प्रेस, हलवाई, कैटर्स, धर्मगुरु, समाज के मुखिया, बैंड वाले, घोड़ी वाले, और ट्रांसपोर्ट सेवाओं से भी अपील की है कि वे विवाह में वर-वधू की आयु प्रमाण पत्र के परीक्षण उपरांत ही अपनी सेवायें प्रदान करें अन्यथा उन्हें भी बाल विवाह के सहयोगी के रूप में जिम्मेदार ठहराया जाएगा। प्रिंटिंग प्रेस वालों से भी अपील की गई है कि वे विवाह पत्रिका में स्पष्ट रूप से वर-वधू के बालिग होने का उल्लेख करें।
यदि आपके क्षेत्र में बाल विवाह होता है, तो इसकी सूचना तुरंत एस.डी.एम., तहसीलदार, पुलिस थाना प्रभारी, परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को दें। साथ ही चाइल्ड लाइन के दूरभाष क्रमांक 1098 पर भी इसकी सूचना दी जा सकती है।