सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: एम्स भोपाल में एक दिवसीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन किया गय। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह ने कहा कि हिंदी एक ऐसी भाषा है जो किसी भी अन्य भाषा के शब्दों को आसानी से आत्मसात कर लेती है। हमें इस पर गर्व की अनुभूति होनी चाहिए। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी हिंदी ने एक संपर्क भाषा के रूप में कार्य करके इस संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एम्स भोपाल की लाइब्रेरी में मेडिकल शिक्षा से संबंधित किताबें हिंदी में भी उपलब्ध कराई गई हैं। साथ ही इसके लिए अलग से बजट का प्रावधान भी रखा गया है।
इस अवसर पर गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग के क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय के सहायक निदेशक हरीश सिंह चौहान ने कहा कि राजभाषा में काम करना बहुत ही अनूठा है। भारत सरकार की नीति भी ऐसी है कि हम जैसा बोलते हैं वैसे ही उसको लिखें।
अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति खेम सिंह डहेरिया ने राजभाषा के संवैधानिक स्वरूप की चर्चा करते हुए कहा कि आज हिंदी विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। इससे पूर्व उपस्थिति का स्वागत एम्स भोपाल के उपनिदेशक (प्रशासन) कर्नल अजीत कुमार ने किया। इस अवसर पर दन्त चिकित्सा विभाग के प्रमुख प्रो पंकज गोयल द्वारा लिखित पुस्तक प्राथमिक दन्त चिकित्सा विज्ञान का विमोचन भी किया गया। ये पुस्तक एमबीबीएस विद्यार्थियों के लिए काफी लाभकारी होगी। दिन भर चले राजभाषा सम्मेलन के दौरान विभिन्न व्याख्यान सत्रों का भी आयोजन किया गया। एम्स भोपाल के पैथोलॉजी विभाग की पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर नीलकमल कपूर ने चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई हिंदी में आवश्यक क्यों है विषय पर व्याख्यान दिया।
जबकि मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी भोपाल के निदेशक विकास दवे ने चिकित्सा संस्थानों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने में प्रमुख चुनौतियां व समाधान विषय पर अपने विचार व्यक्त किये। तृतीय सत्र में हमीदिया अस्पताल भोपाल के शरीर रचना विभाग के सह प्राध्यापक अभिजीत यादव ने चिकित्सा पाठ्यक्रम का हिंदी अनुवाद प्रमुख चुनौतियां एवं व्यक्तिगत अनुभव विषय पर चर्चा की जबकि राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान भोपाल में सहायक प्राध्यापक डॉक्टर अंजलि पोतनीश ने हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने में यूनिकोड हिंदी फॉन्ट एवं कंप्यूटर पर विभिन्न अनुवाद टूल्स की भूमिका विषय पर व्याख्यान दिय। इस राजभाषा सम्मेलन में विभिन्न केंद्रीय कार्यालय के प्रतिनिधियों के अलावा एम्स भोपाल के संकाय सदस्य, अधिकारीयों एवं कर्मचारियों ने भी भाग लिया। इस राजभाषा सम्मेलन में लगभग 170 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।