सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह संकाय सदस्यों और छात्रों के बीच अकादमिक उत्कृष्टता और ज्ञान-साझाकरण की संस्कृति को सदैव बढ़ावा देते रहते हैं। हाल ही में, एम्स भोपाल के फिजियोलॉजी विभाग की प्रोफेसर रचना पराशर ने सेंटर ऑफ बिहेवियरल साइंस द्वारा पुणे में आयोजित ‘इंटीग्रेटिव मेडिसिन कंसोर्टियम एंड लीडरशिप डेवलपमेंट कॉन्क्लेव’ में आमंत्रित रिसोर्स फैकल्टी के रूप में भाग लिया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य इंटीग्रेटिव मेडिसिन में प्रोटोकॉल और विधियों के विकास एवं उनके क्रियान्वयन के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करना और गैर-संक्रामक रोगों के प्रबंधन के लिए बेहतर स्वास्थ्य समाधान उपलब्ध कराना था।


इस सम्मेलन में एम्स भोपाल के इंटीग्रेटिव मेडिसिन प्रैक्टिस मॉडल को प्रस्तुत किया गया। एम्स भोपाल में इन सेवाओं का संचालन अजय सिंह के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। एम्स भोपाल के इस क्षेत्र में योगदान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वानों और इंटीग्रेटिव मेडिसिन के अग्रणियों द्वारा सराहा गया।
इस अवसर पर प्रो. सिंह ने कहा, “इस प्रकार के सम्मेलनों में भागीदारी हमें स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नवाचार, अनुसंधान और सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने का अवसर प्रदान करती है। एम्स भोपाल इंटीग्रेटिव मेडिसिन के माध्यम से समग्र और एकीकृत स्वास्थ्य सेवाओं के विकास के लिए दृढ़ संकल्पित है, और हम निरंतर इस दिशा में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। कंसोर्टियम के दौरान न्यूरोसाइंस और योग के बायोफिजिक्स तथा उनकी आधुनिक व्याख्या को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं जैसे एडजंक्ट रेनहार्ड बोएगल, क्रिस्टीन नॉख और एस. एन. भावसर ने प्रस्तुत किया।
प्रोफेसर एमेरिटस, इंटीग्रेटिव मेडिसिन, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निम्हांस) एवं राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष बी. एन. गंगाधर ने इंटीग्रेटिव हेल्थ केयर सेवाओं के महत्व और इसकी गहरी पहुंच पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही, इंटीग्रेटिव हेल्थ केयर की आर्थिक और व्यावहारिक संभावनाओं पर जेपी मॉर्गन के चीफ इकोनॉमिस्ट, साजिद चिनॉय और ट्रस्टी श्री जहांगीर टाटा ने अपनी अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के योगदान पर भी अपने अनुभव साझा किए। इसके अतिरिक्त, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और उनके स्वास्थ्य पर प्रभावों पर भी विशेषज्ञों द्वारा विचार-विमर्श किया गया।

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