सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह के नेतृत्व में संस्थान लगातार नवाचार, अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहा है। इसी क्रम में, एम्स भोपाल को “जोखिमग्रस्त” बच्चों में प्रारंभिक बाल्य विकास (ईसीडी) पर शोध के लिए आईसीएमआर इंटरमीडिएट ग्रांट से सम्मानित किया गया है। यह शोध परियोजना शुरुआती जैविक और मनोवैज्ञानिक अनुभवों का मस्तिष्क विकास पर प्रभाव समझने और इससे जुड़े समस्याओं का समाधान करने पर केंद्रित है। इस परियोजना में कुपोषण, आयरन और आयोडीन की कमी, संज्ञानात्मक उत्तेजना की कमी और मातृ अवसाद जैसे प्रमुख कारकों का अध्ययन किया जाएगा, जो बच्चों के विकास में बाधा बनते हैं।
इस शोध के महत्व को बताते हुए निदेशक सिंह ने कहा, “यह शोध कमजोर बच्चों के विकास से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने की दिशा में एम्स भोपाल के प्रयासों को दर्शाता है। हमारा लक्ष्य बच्चों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुंचाने और बाल विकास व सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्रभावी समाधान विकसित करना है।” इस परियोजना का नेतृत्व सामुदायिक और परिवार चिकित्सा विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर दीप्ति डाबर करेंगी। इसमें सह-अन्वेषक के रूप में पंकज प्रसाद, अनिंदो मजूमदार, प्रिया गोगिया, रोशन सुतार, अनुराधा कुशवाह और राम रतन शामिल होंगे।
इस शोध का उद्देश्य मध्य प्रदेश के ग्रामीण, शहरी और आदिवासी क्षेत्रों में ईसीडी और पोषण कार्यक्रमों में आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण करना है। यह “जोखिमग्रस्त” बच्चों, जैसे कम जन्म वजन और वंचित पृष्ठभूमि वाले बच्चों, के विकास को समझकर प्रभावी मॉडल तैयार करेगा। भोपाल और छिंदवाड़ा जिलों में संचालित इस परियोजना के लिए आईसीएमआर ने ₹2.5 करोड़ का अनुदान दिया है। यह शोध बाल विकास और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए एम्स भोपाल की भूमिका को और सशक्त बनाएगा।
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