सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एम्स भोपाल ने अपने कार्यपालक निदेशक अजय सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व में पिछले दो वर्षों में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। भारत सरकार की प्रमुख योजना, डिजिटल इंडिया पहल, का उद्देश्य भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करना है। यह पहल नागरिकों के जीवन को डिजिटल तकनीकों के माध्यम से बेहतर बनाने, डिजिटल अर्थव्यवस्था का विस्तार करने, निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ाने और डिजिटल तकनीकी क्षमताओं के विकास को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया आंदोलन को जनता द्वारा संचालित एक जनांदोलन के रूप में परिभाषित किया है और इसे मजबूत करने के लिए समर्पित व्यक्तियों के प्रयासों की सराहना की है।
इसी दिशा में कार्य करते हुए, एम्स भोपाल को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत राष्ट्रीय मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स के तहत डिजिटल ऑन्कोलॉजी (कैंसर देखभाल) में अनुसंधान हेतु 20 लाख रुपये का अनुसंधान अनुदान प्राप्त हुआ है। इस शोध परियोजना का नेतृत्व एम्स भोपाल के विकिरण ऑन्कोलॉजी विभाग के सैकत दास प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर के रूप में करेंगे, और प्रो. अमित अग्रवाल सह-प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर होंगे। यह शोध परियोजना आईआईटी इंदौर के नवाचार और इनक्यूबेशन केंद्र (आईआईटीआई दृष्टि सीपीएस फाउंडेशन) के सहयोग से की जाएगी। यह पुरस्कार भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह द्वारा नई दिल्ली में आयोजित एक प्रतिष्ठित समारोह में प्रदान किया गया। इस अवसर पर इंदौर के सांसद शंकर लालवानी, डीएसटी के सचिव अभय करंदीकर, आईआईटी इंदौर के निदेशक सुहास एस. जोशी भी उपस्थित रहे।
यह शोध परियोजना कैंसर उपचार के बाद मरीजों की जीवन गुणवत्ता के डिजिटल इंटरफेस के विकास पर केंद्रित होगी। भारत में कैंसर एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, और कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एम्स भोपाल के कैंसर उपचार केंद्र (सीटीसी) में प्रतिवर्ष 6000 से अधिक नए कैंसर रोगियों की जाँच की जाती है, जिनमें से 40-50% सिर और गर्दन के कैंसर, उसके बाद स्तन और स्त्रीरोग संबंधी कैंसर होते हैं। कैंसर उपचार में केवल रोग को ठीक करना ही नहीं, बल्कि उपचार और जीवन गुणवत्ता के बीच संतुलन बनाए रखना भी आवश्यक होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, स्वास्थ्य कई आयामों में जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, जिनमें शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, स्वतंत्रता का स्तर, सामाजिक संबंध और पर्यावरणीय कारक शामिल हैं। यह स्वास्थ्य को व्यक्ति की जीवन की स्थिति को उसकी सांस्कृतिक और मूल्य प्रणालियों के संदर्भ में देखने की क्षमता के रूप में परिभाषित करता है।
प्रो. अजय सिंह ने इस सहयोग की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, “भारत में कैंसर मामलों की मृत्यु-दर अनुपात पश्चिमी देशों की तुलना में अधिक है। भारतीय कैंसर रोगियों की महामारी विज्ञान और सामाजिक-आर्थिक स्थितियां भिन्न हैं, जिसके लिए एक स्वदेशी जीवन गुणवत्ता मूल्यांकन उपकरण की आवश्यकता है। यह परियोजना इन डिजिटल समाधानों को एकीकृत करने और भारत में कैंसर रोगियों के कल्याण में सुधार लाने में एक मील का पत्थर साबित होगी।” वर्तमान में, जीवन गुणवत्ता को मापने के लिए कई उपकरण मौजूद हैं, लेकिन भारतीय संदर्भ में एक विशेष रूप से अनुकूलित उपकरण की तत्काल आवश्यकता है। यह परियोजना इस अंतर को पाटने और कैंसर उपचार में एक अधिक रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।
एम्स भोपाल डिजिटल स्वास्थ्य सेवा में अग्रणी भूमिका निभाते हुए नवाचारपूर्ण चिकित्सा अनुसंधान के माध्यम से भारत में रोगी देखभाल के परिणामों को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार कार्य कर रहा है। यह परियोजना डिजिटल हेल्थकेयर में भारत को आत्मनिर्भर बनाने और कैंसर मरीजों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल समाधान प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल होगी।
#एम्सभोपाल #कैंसररिसर्च #डिजिटलहेल्थ #DSTअनुसंधान #स्वास्थ्यनवाचार #AIIMSResearch #CancerCare #MedicalInnovation