सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एम्स भोपाल ने अपनी किडनी प्रत्यारोपण कार्यक्रम में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर स्थापित किया है, जब अस्पताल ने अपने पहले ब्रेन डेड दाता से प्राप्त किडनी प्रत्यारोपण के मरीज को स्वस्थ अवस्था में डिस्चार्ज किया। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि कार्यपालक निदेशक अजय सिंह के नेतृत्व में प्राप्त की गई, जो मध्य भारत में विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करने की अस्पताल की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। प्रो. सिंह ने इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “यह उपलब्धि एम्स भोपाल के लिए गर्व का क्षण है, जो हमारी एनेस्थीसिया, नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी टीमों की समर्पण और विशेषज्ञता को दर्शाता है। इस सफल प्रत्यारोपण ने न केवल हमारी संस्थान की क्षमताओं को प्रदर्शित किया है, बल्कि यह भी साबित किया है कि हम जटिल चिकित्सा प्रक्रियाओं में सक्षम हैं और क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवाओं में एक नई मिसाल स्थापित कर रहे हैं।”
नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष महेन्द्र आटलानी ने इस उपलब्धि पर कहा, “यह सफल प्रत्यारोपण न केवल मरीज और उनके परिवार के लिए राहत का कारण है, बल्कि यह एम्स भोपाल की जटिल चिकित्सा प्रक्रियाओं में सक्षमता को प्रदर्शित करता है। यह सफलता दूसरे लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करेगा, जिससे और अधिक जीवन बचाए जा सकेंगे।” इस प्रत्यारोपण में यूरोलॉजिस्ट देवाशिश कौशल, डॉ. के. माधवन, केतन मेहरा, निकिता श्रीवास्तव और एनेस्थीसिया टीम से वैशाली वैणडेसकर, सुनैना तजपाल कर्ना और शिखा जैन का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
अंतिम चरण के गुर्दे की बीमारी से पीड़ित 42 वर्षीय मरीज को ब्रेन डेड दाता से प्राप्त किडनी का प्रत्यारोपण प्राप्त हुआ। मरीज डायलिसिस पर था उसके परिवार में कोई मेल खाने वाला डोनर नहीं था। सफल सर्जरी और पोस्ट-ऑपरेटिव रिकवरी के बाद मरीज को आज स्वस्थ अवस्था में डिस्चार्ज किया गया, जो उसकी बेहतर रिकवरी को दर्शाता है। यह किडनी प्रत्यारोपण एक 73 वर्षीय पुरुष दाता से संभव हुआ, जिनके परिवार ने उनके ब्रेन डेड के बाद अंगदान का निर्णय लिया जिससे मरीज को एक नया जीवन मिला।
एम्स भोपाल का उद्देश्य काडावेरिक अंगों की उपलब्धता बढ़ाना है। यह कदम अंगों की कमी को दूर करने और जरूरतमंद मरीजों को जीवनदान देने के लिए महत्त्वपूर्ण है। यह सफलता अन्य मरीजों के लिए आशा की किरण साबित होगी और एम्स भोपाल के किडनी प्रत्यारोपण कार्यक्रम के भविष्य के विकास के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी।
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