सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: तकनीक की तेजी से बदलती दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने हर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है. लेकिन क्या फ्यूचर में डॉक्टरों की जगह ले लेगा एआई? यह सवाल आज हर किसी के दिमाग में है. स्वास्थ्य सेवाओं में इसकी बढ़ती भूमिका ने न केवल मेडिकल वर्ल्ड में क्रांति लाई है, बल्कि डॉक्टरों और मरीजों के रिश्ते को भी एक नया आयाम दिया है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने हेल्थकेयर में क्रांति ला दी है, बीमारियों का पता लगाना, मैनेज करना और रोकथाम के तरीकों को पूरी तरह बदल दिया है. अमेरिका के प्रतिष्ठित डॉक्टर और अमेरिकन सोसाइटी फॉर गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी के अध्यक्ष डॉ. प्रतीक शर्मा ने बताया कि एआई कैसे मरीजों और डॉक्टरों के जीवन को प्रभावित कर रहा है.
एआई सिर्फ अस्पतालों तक सीमित नहीं है. वर्चुअल असिस्टेंट और स्मार्टफोन एप्लिकेशन के जरिए यह मरीजों को उनकी बीमारियां को मैनेज करने में मदद कर रहा है. ये एप्स डायबिटीज और हार्ट डिजीज जैसे क्रॉनिक कंडीशन्स में मरीजों को दवाइयां समय पर लेने, एक्सरसाइज करने और डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह देते हैं.
डॉक्टरों और मरीजों के लिए एआई के फायदे
एआई का एक बड़ा फायदा यह है कि यह डॉक्टरों के समय और एनर्जी को बचा सकता है. मेडिकल रिकॉर्ड संभालना, अपॉइंटमेंट शेड्यूल करना और मरीज की जानकारी लिखने जैसे काम एआई के जरिए ऑटोमेट हो सकते हैं. इससे डॉक्टर मरीजों के इलाज पर ज्यादा ध्यान दे सकेंगे. एआई चैटबॉट क्लीनिकल नोट्स बनाने और मरीजों को शैक्षिक सामग्री प्रदान करने में मदद कर सकते हैं. लेकिन इनका उपयोग करते समय डॉक्टरों को सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि ये उपकरण कभी-कभी गलत या अपूर्ण जानकारी भी दे सकते हैं.
क्या एआई डॉक्टरों की जगह ले लेगा?
डॉ. शर्मा ने साफ किया कि एआई डॉक्टरों की जगह नहीं ले सकता. मरीजों की देखभाल में इंसानी इमोशन और विशेषज्ञता बेहद अहम हैं. एआई डॉक्टरों के काम को आसान बनाता है और उनके निर्णय लेने की प्रक्रिया को बेहतर करता है. लेकिन इलाज के हर स्टेज में डॉक्टर की भूमिका जरूरी है.
एआई के इस्तेमाल में जोखिम
एआई के उपयोग में कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे मरीजों की गोपनीयता और डेटा सुरक्षा. एआई आधारित टूल गलत निदान कर सकते हैं, जिससे मरीज को नुकसान हो सकता है, इसके अलावा, एआई का विकास और रखरखाव महंगा है, जो इसे छोटे क्लीनिक या ग्रामीण इलाकों में पहुंचाना मुश्किल बना सकता है. डॉ. शर्मा के मुताबिक, एआई और डॉक्टरों के बीच साझेदारी ही मेडिकल वर्ल्ड का भविष्य है. हमें इस तकनीक का उपयोग सावधानीपूर्वक करना होगा ताकि यह मानवता के लिए वरदान साबित हो. डॉक्टरों और एआई के बीच तालमेल से इलाज में नई ऊंचाइयां हासिल की जा सकती हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें |
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