ब्लूमबर्ग ने चीन की नेशनल हेल्थ कमीशन के हवाले से बताया है कि 20 दिसंबर 2022 को यहां एक दिन में कोरोना के 3 करोड़ 70 लाख नए मामले सामने आए थे। हालांकि, सरकारी आंकड़ों में इस दिन सिर्फ 3 हजार केस ही बताए गए। रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने के शुरुआती 20 दिनों में ही चीन में 24 करोड़ 80 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। ये आंकड़े हैरानी और डर दोनों पैदा करते हैं।

हैरानी इसलिए कि कोरोना वापस लौट आया है। डर इस बात का कि ये एक बार फिर भारत समेत पूरी दुनिया में न फैल जाए। भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि चीन की ये नई कोविड लहर कितने दिनों में भारत को प्रभावित कर सकती है? इसके लिए हमने चीन में कोरोना का पहला मामला मिलने से लेकर भारत में पहली लहर आने के रूट और टाइमिंग का एनालिसिस किया है…

कोरोना की पहली लहर भारत में अपेक्षाकृत देर से पहुंची। इसकी वजह थी कि भारत ने मार्च में ही सख्त लॉकडाउन लगा दिया था।

सितंबर 2020 का महीना पहले वेव के पीक के तौर पर देखा गया। 11 सितंबर 2020 को कुल 97 हजार 650 केसेज आए। यानी पहले केस के मिलने के तकरीबन 220 दिन बाद पहली लहर का पीक दिखा। इसके बाद मरीजों की संख्या कम होती रही और दिसंबर के आखिरी सप्ताह तक प्रतिदिन नए मिलने वाले मरीजों की संख्या 25 से 30 के बीच रह गई। कोविड का प्रभाव थोड़ा कम हुआ और आपको याद होगा अगले पांच महीने में देश में लॉकडाउन और कोविड प्रिकॉशन में थोड़ी ढ़ील मिली।

भारत में कोरोना की दूसरी लहर की कहानी

दूसरी लहर दुनिया भर में एक साथ नहीं आयी। भारत में इसके आने की अनौपचारिक तारीख 11 फरवरी 2021 मानी जाती है। दूसरी लहर की अक्रमता का प्रमुख कारण डेल्टा वैरिएंट को माना गया। कोरोना का वैरिएंट डेल्टा सुपर इन्फेक्शियस था और इसने ही भारत में 1.80 लाख से अधिक लोगों की जान ली।

नए डेल्टा वैरिएंट के फैलने के बाद महाराष्ट्र और खासकर मुंबई नए हॉटस्पॉट की तरह देखे गए। अप्रैल आते आते अकेले महाराष्ट्र में रोज 9 हजार केस मिलने लगे। WHO के अनुसार पहला मामला मिलने के बाद कुल 18 मई 2021 तक दुनिया के 48 देशों में डेल्टा वैरिएंट के होने की पुष्टि हो चुकी थी इसके बाद ये मामले बढ़ते ही रहे।

दूसरी लहर के फरवरी 2021 में शुरू होने के तकरीबन 84 दिन बाद ही इसका पीक आया। 6 मई 2021 को देश में 4 लाख 14 हजार कोविड के मामले आए। आधिकारिक तौर पर मई 2021 के अंत में भारत मे कुल 27 लाख कोविड संक्रमित थे और तीन लाख से अधिक जाने जा चुकी थीं। अक्टूबर 2021 के पहले सप्ताह तक, डेल्टा वैरिएंट कम से कम 191 देशों में फैल चुका था।

भारत में कोरोना के तीसरी लहर की कहानी

नवंबर 2021 के शुरुआती सप्ताह तक 7,000 से 9,000 कोरोना मामले आ रहे थे। इसी बीच देश में वैक्सीनेशन तेजी से हो रहा था। उम्मीद थी कि 2022 की शुरुआत में मामला सही हो जाएगा और जिंदगी पटरी पर लौटने लगेगी। तभी नवंबर के आखिरी सप्ताह तक ओमिक्रॉन (B.1.1.529) वैरिएंट की बात होने लगी। आधिकारिक तौर पर इस वैरिएंट का पहला मामला 24 नवंबर 2021 दक्षिण अफ्रीका में दर्ज किया गया। इसके बाद दिसंबर 2021 के पहले सप्ताह को नए ओमिक्रॉन वैरिएंट के फैलने का समय माना गया।

ओमिक्रॉन बहुत आक्रामक वायरस माना गया। इससे संक्रमित एक व्यक्ति 15-18 लोगों को संक्रमित कर सकता था। हाल ये हुआ कि जनवरी 2022 आते-आते प्रतिदिन लाखों मामले सामने आने लगे। दिसंबर के पहले सप्ताह से शुरू हुआ कोविड का तीसरा दौर मार्च 2022 तक माना गया। इस दौरान 20 जनवरी 2022 को भारत में कोरोना संक्रमण के लगभग 3 लाख 47 हजार नए मामले दर्ज हुए। देश के सभी राज्य सभी जिलों में RTPCR टेस्ट ने जोर पकड़ लिया। कोविड का ये नया वैरिएंट बहुत तेजी से संक्रमण फैलता था। दक्षिण अफ्रीका का कोविड ट्रेंड देखकर अनुमान लगाया गया कि मामले तेजी से बढ़ेंगे और तेजी से ही घटेंगे। लगभग यही स्थिति देखी भी गई। तीसरी वेव का पीक 50 दिन में आ गया। ऑमिक्रॉन को डॉक्टर्स ने अचानक आई बाढ़ की तरह कहा।

चीन की कोविड लहर कितने दिन में भारत आएगी?

कोरोना का नया वैरिएंट ऑमिक्रॉन का ही सब वैरिएंट है और अभी तक भारत में इसके 4 मामले पाए गए हैं। इसे ओमिक्रॉन सब वैरिएंट BF.7 के नाम से जाना जा रहा है। ये वैरिएंट ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट BF5 से म्यूटेट होकर यानी टूट कर बना है। BF.7 वैरिएंट से संक्रमित इंसान 10 से 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है।

कोविड के नए वैरिएंट से कितना खतरा है और यह कितने दिनों में हमें प्रभावित कर सकती है, इस पर सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के डायरेक्टर विनय के. नंदीकूरी कहते हैं कि BF.7 वैरिएंट का असर भारत में ज्यादा नहीं होगा। ज्यादातर भारतीयों के पास अब हाइब्रिड इम्यूनिटी है। उन्होंने वैक्सीनेशन के जरिए इम्यूनिटी हासिल कर ली है। हालांकि, उन्होंने मास्क लगाने समेत कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने पर भी जोर दिया।

CCMB के डायरेक्टर ने कहा, ‘इम्यूनिटी होने पर सभी तरह के नए वैरिएंट से बचने की क्षमता होती है, लेकिन हमेशा एक चिंता होती है कि जिन्होंने वैक्सीनेशन करवाया है वो भी ओमिक्रॉन के नए वैरिएंट से संक्रमित हो सकते हैं। हालांकि, भारत में संक्रमण को लेकर उतना ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है, जितना डेल्टा वैरिएंट के समय हुई थी। ऐसा इसलिए है, क्योंकि हमारे पास एक हद तक हर्ड इम्यूनिटी आ गई है। यही वजह है कि हम अन्य वायरस के संपर्क में आने के बावजूद सुरक्षित हैं।’

महामारी विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहरिया के मुताबिक चीन की परिस्थिति पूरी तरह अलग है। हमारी स्थिति दूसरी है। पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ग्लोबल लेवल पर है, भारत के लिए इसका फिलहाल कोई मतलब नही हैं। सरकार को हालात पर सिर्फ नजर रखनी चाहिए, किसी एडिशनल स्टेप की जरूरत नहीं है।

अगले चालीस दिन और अहम

कोरोना के नए बढ़ते मामले थोड़ी चिंता बढ़ा रहे हैं। हेल्थ डिपार्टमेंट के सूत्रों की माने तो अगले चालीस दिन देश के लिए गंभीर हो सकते हैं और जनवरी में केसेज़ बढ़ने की संभावना देखी जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, देश में कोरोना की एक और लहर की स्थिति आ सकती है। ऐसे में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा की जा रही है। साथ ही यह भी कहा कि बीते दो दिनों में अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट्स में किए गए 6,000 टेस्ट में से 39 अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों को कोरोना संक्रमित पाया गया है।