सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : महावीर जयंती के उपलक्ष्य में जैनदर्शन विद्याशाखा , केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, भोपाल परिसर द्वारा ‘वर्तमाने वर्द्धमानस्य प्रासंगिकता’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति श्रीनिवास वरखेड़ी के संरक्षण में आयोजित इस संगोष्ठी में बाह्य अतिथियों के रूप में निदेशक फूलचंद जैन, प्रेमी,पूर्व विभागाध्यक्ष जैन दर्शन विभाग सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी, कमलेश कुमार जैन, विभागाध्यक्ष, जैन दर्शन विभाग, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर परिसर,तथा श्रेयांश सिंघई, पूर्व विभागाध्यक्ष, जैन दर्शन विभाग, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर परिसर, आभासीय पटल के माध्यम से सम्मिलित थे। सम्मानित अतिथि सुबोध शर्मा तथा सह निदेशक नीलाभ तिवारी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल परिसर के निदेशक रमाकांत पाण्डेय ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में निदेशक रमाकांत पाण्डेय ने कहा कि भगवान महावीर के सिद्धांत प्रत्येक युग में प्रासंगिक हैं ।भगवान महावीर के द्वारा स्थापित जीवन मूल्य मनुष्य को सफल जीवन यापन के लिए एक संतुलित शैली का उपयोग सिखाते हैं। ईश्वर द्वारा रचित इस सृष्टि के समस्त अंगों एवं तत्वों के प्रति सम्मान की भावना रखते हुए प्राणी मात्र को विश्व के विकास के लिए समुपयोगी बताते हुए सभी को साथ लेकर चलने की भावना सिखाते हैं। निदेशक फूलचंद जैन ने कहा कि भगवान महावीर के अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के सिद्धांत मानव जीवन के आधारभूत तत्व हैं। निदेशक कमलेश कुमार जैन ने अहिंसा व अपरिग्रह की समसामयिक आवश्यकता पर बात की। निदेशक श्रेयांश सिंघई ने जैन दर्शन के प्राचीन ग्रंथों पर वृहद शोध व विश्लेषण की आवश्यकता पर बल दिया।
संगोष्ठी में दो शोध पत्र वाचन सत्रों में 54 प्रतिभागियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किये। इस संगोष्ठी के समन्वयक योगेश कुमार जैन थे। उन्होंने बताया कि भगवान महावीर के सिद्धांत प्रत्येक काल में उपयोगी हैं परंतु वर्तमान समय में चरित्र निर्माण की महती भूमिका को देखते हुए उनके सिध्दांतों पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। मात्र पूजन, अर्चन, नमन करके भगवान की स्तुति करना ही पर्याप्त नहीं है अपितु वास्तविक जीवन में उनके बताए मार्ग पर चलना ही भक्ति है। छात्रों को उनके सिध्दांतों के विषय में जागृत करने के लिए इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर परिसर के छात्रों के लिए भगवान महावीर के सिद्धांतों पर आधारित चित्रकला तथा नारा लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित हुईं।
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