सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) भोपाल में “जनजातीय कला के परिप्रेक्ष्य में डिजाइन” नामक एक संगोष्ठी में मुख्य वक्ता वसंत निर्गुणे, सेवानिवृत्त सर्वेक्षण अधिकारी, मध्य प्रदेश आदिवासी लोक कला परिषद, संस्कृति विभाग भोपाल ने कहा कि “जनजातीय कला एवं संस्कृति इतनी विस्तृत है कि केवल एक जन्म में इसको समझ पाना संभव नहीं है।“
एक अनुभवी शिक्षाविद्, सांस्कृतिक दार्शनिक और स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों के पक्ष-समर्थक, वसंत निर्गुणे ने संगोष्ठी के दौरान कहा कि “जनजातीय समुदाय किसी संस्थान या कॉलेज से ज्ञान न पाकर, जीवन से ही कला एवं ज्ञान को पाते हैं“ और “जनजातीय मूल रूप से अलग रहने की अपनी अवधारणा के कारण अपनी उप-जाति को छोड़कर कभी एक दूसरे की नकल नहीं करते हैं।“ “सभी जनजातीय कला, भाषा, संस्कृति , गीत और संगीत एक-दूसरी जनजाति से भिन्न होती है और उनकी लिपि पुरातन युग की गुफा चित्र कला (जैसे कि विश्व धरोहर भीमबेटका) से प्राप्त होती है।“
इस संगोष्ठी में दूसरे पैनलिस्ट के रूप में निदेशक बी.आर. सतपुते, क्षेत्र आयोजक, जनजातीय अनुसंधान एवं विकास संस्थान, भोपाल, आदिम जातीय अनुसंधान एवं विकास संस्थान, अर्चना जैन, निदेशक, जिनशाख एंटरप्राइजीस प्राइवेट लिमिटेड, दीपा दीक्षित, अध्यक्ष, रागिनी फाउंडेशन, और इस पैनल में निफ्ट भोपाल के संकाय सदस्य सुप्रिया यादव, सह-प्राध्यापक, निफ्ट भोपाल, फ़ैशन एंड लाइफस्टाइल एक्सेसरिज (एफ एंड एल ए), अनुपम सक्सेना, सह-प्राध्यापक, निफ्ट भोपाल, क्लस्टर इनिशिएटिव कोर्डीनेटर (सीआईसी), लतिका भट्ट, सहायक प्राध्यापक, निफ्ट भोपाल, टेक्सटाइल डिज़ाइन (टीडी) उपस्थित रहे।
इस संगोष्ठी के सार के रूप में यह कहा जा सकता है कि जनजातीय कला को सस्टेनेबल रूप देकर संरक्षित किया जा सकता है, जिससे इसकी उपयुक्तता बनी रहे। जनजातीय कला प्रकृति से प्रेरित होती है और अधिकतम उपयोग टेक्सटाइल डिज़ाइन में देखा जाता है, इस कला को मध्यम आय वर्ग तक पहुंचाए जाने का प्रयास करना चाहिए जिससे कि इस कला के प्रति जागरूकता बढ़े और कलाकार को आजीविका के अवसर मिलते रहे।
इस कार्यक्रम में एक प्रदर्शनी, पैनल चर्चा और प्रश्न-उत्तर सत्र भी शामिल था। इस संगोष्ठी में ले. कर्नल आशीष अग्रवाल, निदेशक निफ्ट भोपाल व श्री अखिल सहाय, संयुक्त निदेशक निफ्ट भोपाल के साथ सभी अधिकारी, संकाय सदस्य, कर्मचारीगण एवं विद्यार्थी उपस्थित हुए। सुश्री सुप्रिया यादव, सह-प्राध्यापक व नोडल अधिकारी के समन्वय से इस संगोष्ठी को आयोजित किया गया।
#निफ्टभोपाल, #जनजातीयकला, #संस्कृति, #डिजाइन, #संगोष्ठी, #आदिवासीकला, #टेक्सटाइलडिजाइन, #कला, #भारतीयसंस्कृति