सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: सुप्रीम कोर्ट ने सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6A की वैधता को बरकरार रखा है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच जजों की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच ने इस मामले में गुरुवार को फैसला सुनाया। बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। इस फैसले पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सहित चार जजों ने सहमति जताई है, जबकि जस्टिस जेबी पारदीवाला ने असहमति प्रकट की है।
धारा 6A का इतिहास
सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6A को 1985 में असम समझौते के तहत संशोधित किया गया था। इसका उद्देश्य असम में भारत आने वाले लोगों की नागरिकता को निर्धारित करना था। धारा 6A के अनुसार, जो लोग 1 जनवरी 1966 या उसके बाद बांग्लादेश समेत अन्य क्षेत्रों से असम आए हैं और 25 मार्च 1971 से पहले वहां बसे हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
सुनवाई का क्रम
- 5 दिसंबर 2023: असम में सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6A से जुड़ी 17 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हुई। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि बांग्लादेश के निर्माण में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
- 7 दिसंबर 2023: कोर्ट ने केंद्र से असम में बांग्लादेशी शरणार्थियों को दी गई नागरिकता का डेटा मांगा। कोर्ट ने केंद्र और असम सरकार को 11 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया।
- 12 दिसंबर 2023: केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि अवैध प्रवासियों का सटीक डेटा कलेक्ट करना संभव नहीं है, क्योंकि ये लोग बिना डॉक्यूमेंट्स के भारत में घुसते हैं।
मामले की क्रोनोलॉजी
- 2012: गुवाहाटी के नागरिक समाज संगठन ने धारा 6A को चुनौती दी।
- 2013: सुप्रीम कोर्ट ने असम राज्य को NRC अपडेट करने का निर्देश दिया।
- 2014: नागरिकता से जुड़े मामले को पांच जजों की कॉन्स्टीट्यूशनल बेंच को भेजा गया।
- 2019: फाइनल NRC लिस्ट में 19 लाख लोग बाहर रखे गए।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से धारा 6A की वैधता बरकरार है, जिससे असम में बांग्लादेशी प्रवासियों की नागरिकता को लेकर स्थिति स्पष्ट हो गई है।