सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : सरोजिनी नायडू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर (स्वशासी) महाविद्यालय के वार्षिकोत्सव “भव्या 2024-25” के समापन समारोह और “एक भारत-श्रेष्ठ भारत : सांस्कृतिक मेला कार्निवल” का आयोजन हुआ। जिसमें मुख्य रूप से उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार और अभाविप के मध्य क्षेत्र के संगठन मंत्री चेतस सुखाड़िया उपस्थित रहे।
साथ ही महाविद्यालय के जनभागीदारी समिति की अध्यक्ष भारती कुम्भारे सातनकर, महाविद्यालय की प्राचार्य दीप्ति श्रीवास्तव उपस्थित रही।
सांस्कृतिक कार्निवल मेले में भारत के विभिन्न प्रांतो की सांस्कृतिक विशेषताओं को प्रस्तुत करते हुये 100 से अधिक छात्राओं के 18 समूहों ने सहभागिता की। कार्निवल मेले में प्रथम स्थान बिहार, द्वितीय स्थान पश्चिम बंगाल एवं तृतीय स्थान मराठा समूह को प्राप्त हुआ। मेले में विविध तरह की खेल प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, इसमें महाविद्यालय के प्राध्यापकों, छात्राओं एवं अतिथियों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की।


उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को पुरातन भारतीय ज्ञान को, पुनः शोध-अनुसंधान एवं अध्ययन के साथ युगानुकुल परिप्रेक्ष्य में दस्तावेजीकरण से समृद्ध करने के लिए सहभागिता करने की आवश्यकता है। निदेशक परमार ने कहा कि स्वतंत्रता के लिए जनजातीय नायकों ने अपना बलिदान दिया, उनके शौर्य एवं पराक्रम पर गर्व करने का भाव जागृत करना होगा। निदेशक परमार ने कहा कि जिस तरह राष्ट्रपति के नेतृत्व में भारत विश्वमंच पर विकास की नई गाथा लिख रहा है, उसी तरह महाविद्यालय की बेटियों के नेतृत्व में यह महाविद्यालय भी अभिप्रेरक एवं आदर्श संस्थान बनने की ओर अग्रसर है। यह संस्थान बेटियों को लेकर विभिन्न सामाजिक अवधारणाओं को परिवर्तित करने का केंद्र बनेगा। संस्थान में जनजातीय शोध केंद्र में बेटियों द्वारा सृजित चित्रकला सराहनीय है। निदेशक परमार ने कहा कि शिक्षा के मंदिरों में सरस्वती पूजन की परम्परा, मातृशक्ति के प्रति श्रद्धा एवं विश्वास के भाव की अभिव्यक्ति है। विश्व भर में भारत एक मात्र देश है, जहां चरित्र निर्माण का कारखाना है और यह उपक्रम हमारे शिक्षा के मंदिर है। मंत्री परमार ने विद्यार्थी बेटियों को “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस” की शुभकामनाएं भी प्रेषित की।
निदेशक चेतस सुखाड़िया ने कहा कि भारत के गौरवशाली अतीत से लेकर वर्तमान तक, राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं का योगदान एवं भूमिका अग्रणी है। निदेशक सुखाड़िया ने कहा कि शिक्षा के मंदिरों में विद्यार्थी एवं शिक्षक दो महत्वपूर्ण प्रतिमाएं हैं, इनके मध्य संवाद की महती आवश्यकता है। शिक्षण परिसर के परिवेश को परिवर्तित करने की आवश्यकता है, इसके लिए परिसरों में विद्यार्थी समाधान केंद्र का सृजन करना होगा। विद्यार्थी जीवन का मात्र सफल होना नहीं बल्कि सार्थक होना भी अत्यावश्यक एवं महत्वपूर्ण है। संस्थान में आनंद का परिवेश बनाकर, विद्यार्थियों के जीवन को सफल एवं सार्थक बनाने की आवश्यकता है।

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