भोपाल । मध्यप्रदेश में अब तेज रफ्तार वाहनों के कारण सड़क दुर्घटनाओं में मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस पर ब्रेक लगाने के लिए पुलिस ने कमर कस ली है। हादसों में लगातार हो रही मौत पर ब्रेक लगाने के लिए पुलिस ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट ने पुलिस को अलर्ट जारी किया है। इसमें जिला पुलिस चेकिंग अभियान चलाकर स्पीड लेजर गन और ब्रेथ एनालाइजर से कार्रवाई करेगी। इन उपकरणों से कार्रवाई कोर्ट में सबूत का आधार भी बनेगी।

मध्य प्रदेश पुलिस सड़क हादसों में मौत का आंकड़ा रोकने के लिए ये नया प्रयोग कर रही है। रोड एक्सीडेंट रोकने के लिए आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। स्पीड लेजर गन के जरिए 100 मीटर तक की दूरी से वाहन की गति, प्रकार और वाहन का नंबर लेजर पता किया जा सकता है। तेज गति से वाहन चलाने वालों के विरुद्ध कोर्ट में ये साक्ष्य के तौर पर पेश किया जाएगा।

तकनीक से रुकेंगे हादसे

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पीटीआरआई डी।सी। सागर ने कहा सड़क दुर्घटना रोकने के लिये तेज गति से वाहन चलाने वालों की आदतों में सुधार लाना आवश्यक है। वाहनों की गति को स्पीड लेजर गन से मापा जायेगा। स्पीड लेजर गन के उपयोग की वर्चुअल ट्रेनिंग स्टाफ को दी गई है। उन्होंने कहा टेक्नालॉजी का हम जितना ज्यादा से ज्यादा उपयोग करेंगे, उतना ही हमें दुर्घटनाएं रोकने में आवश्यक मदद मिलेगी। ट्रेनिंग स्पीड लेजर गन के साथ ही ब्रीथ एनालाइजर के उपयोग की जानकारी दी गयी है। ट्रेनिंग में वीडियो और फोटोग्राफस के माध्यम से दुर्घटनाओं के कारणों के बारे में विस्तार से समझाया गया।

साल दर साल सड़क हादसे

पुलिस ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार एमपी में 2018 में कुल 51397 दुर्घटनाओं में 10706 लोगों की मौत हुई थी। जबकि 54662 लोग घायल हुए थे। 2019 में 50669 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं जिसमें 11249 लोगों की मौत हुई थी। जबकि 52816 लोग घायल हुए थे। 2020 में दुर्घटनाओं में आंशिक कमी आई और इस साल 45266 सड़क हादसे हुए और इनमें 11141 लोगों की मौत गई। जबकि 46465 लोग घायल हो गए। 1 मार्च 2021 से 31 मई 2021 तक कुल 10081 सड़क हादसे हुए। इन हादसों में सबसे ज्यादा 2840 लोगों की मौत हुई, जबकि 9950 लोग घायल हो गए।

इसलिए तेजी से बढ़े सड़क हादसे

पीटीआरआई चीफ एडीजी डीसी सागर के अनुसार 2020 की तुलना में 2021 के कुछ महीनों में सड़क हादसों की संख्या और उनमें मरने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।