सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस और पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने के समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि दुनिया को युद्ध में नहीं, बल्कि बुद्ध के मार्ग पर चलकर समाधान खोजने की आवश्यकता है।
बुद्ध की शिक्षाएं
मोदी ने कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया अस्थिरता से ग्रस्त है, बुद्ध की शिक्षाएं न केवल प्रासंगिक हैं बल्कि एक आवश्यकता भी बन गई हैं। उन्होंने पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने को भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान बताया और कहा कि “भाषा सभ्यता और संस्कृति की आत्मा है।”
पाली भाषा का महत्व
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि पाली भाषा को जिंदा रखना और भगवान बुद्ध के शब्दों को संरक्षित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि इस महीने भारत सरकार ने पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है, जो भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान है।
बौद्ध अनुयायियों को शुभकामनाएं
अभिधम्म दिवस पर, मोदी ने भगवान बुद्ध के सभी अनुयायियों को शुभकामनाएं दी और शरद पूर्णिमा और वाल्मीकि जयंती की भी बधाई दी। उन्होंने अपने जन्म से जुड़ी बातें साझा करते हुए कहा कि उनके जन्म के समय भगवान बुद्ध से जुड़ने की यात्रा आज भी जारी है।
शास्त्रीय भाषाओं का मानदंड
केंद्र सरकार ने 2004 में ‘शास्त्रीय भाषा’ की एक श्रेणी बनाई थी। इसके अनुसार, किसी भाषा का 1500 से 2000 साल पुराना रिकॉर्ड होना चाहिए, और उसके पास प्राचीन साहित्य या ग्रंथों का संग्रह होना चाहिए। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3 अक्टूबर को पाली के अलावा मराठी, प्राकृत, असमिया और बंगाली को भी शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मंजूरी दी थी।
तमिल और अन्य भाषाएं
तमिल 2004 में शास्त्रीय भाषा का दर्जा पाने वाली पहली भाषा थी, इसके बाद संस्कृत, तेलुगु, कन्नड, मलयालम और उड़िया को क्रमशः इस दर्जे से सम्मानित किया गया।
इस प्रकार, प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान पाली भाषा के महत्व को रेखांकित करता है और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को आधुनिक समाज में लागू करने का प्रयास है।