सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क – आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: कोलकाता मंगलवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में एंटी रेप बिल पास कर दिया गया, जो कि देशभर में एक सख्त कानून के रूप में देखा जा रहा है। इस नए कानून के अनुसार, यदि रेप के दौरान पीड़ित की मौत हो जाती है या वह कोमा में चली जाती है, तो दोषी को 10 दिन के भीतर फांसी की सजा दी जाएगी। साथ ही, रेप केस की जांच 21 दिन में पूरी करने का प्रावधान भी इस बिल में शामिल किया गया है। इस बिल को ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024’ नाम दिया गया है।
विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने इस बिल को पेश किया, जिसमें विपक्ष ने भी समर्थन दिया। अब यह बिल राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
बिल का महत्व और विशेष प्रावधान:
इस बिल का उद्देश्य पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन शोषण और रेप के मामलों में सख्त कार्रवाई करना है। यदि पीड़ित की मौत हो जाती है या वह कोमा में चली जाती है, तो दोषी को फांसी की सजा दी जाएगी। इसके अलावा, रेप और गैंगरेप के दोषियों को उम्रकैद की सजा मिलेगी, जिसमें उन्हें सारी उम्र जेल में रहना होगा और पैरोल नहीं दी जाएगी।
बिल में यह भी प्रावधान है कि रेप केस की जांच 21 दिन के भीतर पूरी की जाए, जिसे सिर्फ विशेष परिस्थितियों में 15 दिन तक बढ़ाया जा सकता है। जिला स्तर पर ‘अपराजिता टास्क फोर्स’ का गठन किया जाएगा, जो इन मामलों की जांच करेगी।
सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रिया:
विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “हम चाहते हैं कि कानून तत्काल लागू हो और इसके परिणाम देखने को मिलें। मुख्यमंत्री को इसकी गारंटी देनी चाहिए कि यह बिल तुरंत लागू किया जाएगा।”
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “हमने केंद्रीय कानून की खामियों को दूर करने की कोशिश की है। विपक्ष को राज्यपाल से विधेयक पर साइन करने के लिए कहना चाहिए, उसके बाद इसे लागू करना हमारी जिम्मेदारी है।”
बिल की पृष्ठभूमि:
यह बिल तब लाया गया जब कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 8-9 अगस्त को एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर की घटना सामने आई थी। इसके बाद राज्यभर में प्रदर्शन हुए और ममता बनर्जी ने इस गंभीर मुद्दे पर सख्त कानून बनाने का वादा किया था।
निष्कर्ष:
अब यह देखना होगा कि राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून कैसे लागू होता है और इसके परिणामस्वरूप राज्य में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा में कितना सुधार होता है।