सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल :संसद के शीतकालीन सत्र का मंगलवार (17 दिसंबर) को 17वां दिन है। कुछ देर में लोकसभा के पटल पर एक देश, एक चुनाव बिल रखा जाना है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पहले एक देश-एक चुनाव के लिए 129वां संविधान संशोधन बिल पेश करेंगे।

बिल पेश होने से पहले केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने कहा कि आजादी के बाद से चुनाव आयोग लोकसभा और विधानसभाओं के 400 से ज्यादा चुनाव करा चुका है। अब हम एक देश, एक चुनाव का कॉन्सेप्ट लाने जा रहे हैं। एक हाईलेवल कमेटी इसका रोडमैप बना चुकी है। इससे प्रशासनिक क्षमता बढ़ेगी, चुनाव संबंधी खर्च में कमी आएगी और नीतिगत निरंतरता को बढ़ावा मिलेगा।

वहीं, राज्यसभा में संविधान पर विशेष चर्चा दूसरे दिन भी जारी रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम को चर्चा पर जवाब दे सकते हैं। इससे पहले ​​​​PM ने 14 दिसंबर को लोकसभा में संविधान पर विशेष चर्चा में भाग लिया था। चर्चा के दौरान उन्होंने कांग्रेस को संविधान का शिकार करने वाली पार्टी बताया था।

लोकसभा में दो बिल पेश होंगे

सरकार लोकसभा में एक देश-एक चुनाव से जुड़े 2 बिल पेश करेगी। दोनों बिल को 12 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पहले एक देश, एक चुनाव बिल पेश करेंगे।

दूसरा बिल केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़े 3 कानूनों में संशोधन का है। इस बिल में द गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट- 1963, द गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली- 1991 और द जम्मू एंड कश्मीर रीऑर्गनाइजेशन एक्ट- 2019 शामिल हैं। इसके जरिए जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए भी संशोधन किया जा सकता है।

16 दिसंबर को राज्यसभा में वित्त मंत्री सीतारमण और कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के बीच बहस हुई राज्यसभा में सोमवार को संविधान पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच खूब बहस हुई। वित्त मंत्री ने कहा- कांग्रेस परिवार और वंशवाद की मदद करने के लिए बेशर्मी से संविधान संशोधन करती रही।

इस पर खड़गे ने कहा, ‘जो लोग तिरंगे, अशोक चक्र और संविधान से नफरत करते थे, वे आज शिक्षा दे रहे हैं। जब संविधान बना, तो इन लोगों ने इसे जला दिया था। जिस दिन संविधान अपनाया गया था, इन्होंने रामलीला मैदान दिल्ली में बाबासाहेब अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी के पुतले जलाए थे। RSS के नेता संविधान का विरोध इसलिए करते हैं क्योंकि यह मनुस्मृति पर आधारित नहीं है।’

खड़गे ने कहा, ‘वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से ग्रेजुएट हैं। मैंने म्यूनिसिपल स्कूल से पढ़ाई की है, लेकिन संविधान हमने भी थोड़ा-बहुत पढ़ा है। निर्मला जी की अंग्रेजी और हिन्दी अच्छी होगी, लेकिन उनके कर्म अच्छे नहीं हैं।

एक देश-एक चुनाव के लिए बनाई गई समिति ने मार्च में राष्ट्रपति को सौंपी थी रिपोर्ट एक देश-एक चुनाव पर विचार के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर, 2023 को एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने करीब 191 दिनों में स्टेकहोल्डर्स और एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद 14 मार्च, 2024 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी।

एक देश-एक चुनाव को लागू करने के लिए संविधान संशोधन के जरिए संविधान में 1 नया अनुच्छेद जोड़ने और 3 अनुच्छेदों में संशोधन करने की व्यवस्था की जाएगी। सरकार इस मुद्दे पर आम सहमति बनाना चाहती है, लिहाजा बिल को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) को भेजे जाने की संभावना है।

संविधान संशोधन से क्या बदलेगा, 3 पॉइंट...

  • संविधान संशोधन के जरिए अनुच्छेद- 82(A) जोड़ा जाएगा, ताकि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकें। वहीं, अनुच्छेद- 83 (संसद के सदनों का कार्यकाल), अनुच्छेद- 172 (राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल) और अनुच्छेद- 327 (विधानसभाओं के चुनाव से जुड़े कानून बनाने में संसद की शक्ति) में संशोधन किया जाएगा।
  • बिल के जरिए प्रावधान किया जाएगा कि आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख पर राष्ट्रपति नोटिफिकेशन जारी करेंगे। नोटिफिकेशन जारी करने की तारीख को अपॉइंटेड डेट कहा जाएगा। लोकसभा का कार्यकाल अपॉइंटेड डेट से 5 साल का होगा। लोकसभा या किसी राज्य की विधानसभा समय से पहले भंग होने पर बचे हुए कार्यकाल के लिए ही चुनाव कराए जाएंगे।
  • बिल के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि यह पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक देश-एक चुनाव पर हाईलेवल कमेटी की सिफारिशों पर आधारित है। कोविंद कमेटी ने देश और राज्यों को चुनावों के साथ ही लोकल बॉडीज इलेक्शन कराने की भी सिफारिश की थी। हालांकि 12 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इसे लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है।

कोविंद कमेटी की 5 सिफारिशें…

  1. सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए।
  2. हंग असेंबली (किसी को बहुमत नहीं), नो कॉन्फिडेंस मोशन होने पर बाकी के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं।
  3. पहले फेज में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं, उसके बाद दूसरे फेज में 100 दिनों के भीतर लोकल बॉडीज (नगर निकाय) इलेक्शन कराए जा सकते हैं।
  4. चुनाव आयोग लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आईडी कार्ड तैयार करेगा।
  5. कोविंद पैनल ने एक साथ चुनाव कराने के लिए उपकरणों, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश की है।

एक देश-एक चुनाव क्या है… भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं। एक देश-एक चुनाव का मतलब लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से है। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय वोट डालेंगे।

आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद दिसंबर, 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

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