सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: जश्न-ए-रेख्ता के अंतिम दिन की शाम मशहूर ग़ज़ल गायक, संगीतकार और निर्माता निश्चल जावेरी की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति से जीवंत हो उठी। उनकी परफॉर्मेंस “चांद, उर्दू और आवाज़ अनप्लग्ड”, जो नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में शाम 5 बजे आयोजित हुई, ने संगीत के माध्यम से उर्दू शायरी के शाश्वत प्रेम और रोमांस का जश्न मनाया। इसमें विभिन्न वर्गों और आयु समूहों के लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और गर्मजोशी से सराहना की।
‘चांद’ (चंद्रमा) की प्रतीकात्मक थीम ने पूरे कार्यक्रम की बुनियाद रखी और एक शांत व विचारमग्न वातावरण को जीवंत किया। चांदनी रातों की शांति को दर्शाने वाले खूबसूरत सेट ने संगीत और शायरी की भावनात्मक शक्ति को और अधिक प्रभावशाली बना दिया। निश्चल जावेरी की आत्मीय ग़ज़लों की प्रस्तुति ने संगीत के सम्मोहक प्रभाव को फिर से जीवित कर दिया, जिसमें परंपरा और आधुनिकता का खूबसूरत संगम देखने को मिला।
कार्यक्रम के अनुभव को साझा करते हुए जावेरी ने कहा, “चांद, उर्दू और आवाज़ उर्दू शायरी की गहरी सुंदरता को समर्पित एक प्रस्तुति थी, जिसे आज के श्रोताओं के दिलों तक पहुंचाने की कोशिश की गई। ग़ज़लों में गहरे भावनाओं को व्यक्त करने की अद्भुत क्षमता होती है, और इतने उत्साही दर्शकों के सामने इसे प्रस्तुत करना मेरे लिए बेहद संतोषजनक अनुभव था। यह मेरे लिए सम्मान की बात थी कि पहली बार दिल्ली में जश्न-ए-रेख्ता में परफॉर्म किया और मैं भविष्य में ऐसे और अवसरों की उम्मीद करता हूं।”
शाम में शास्त्रीय और समकालीन ग़ज़लों का अद्भुत मिश्रण पेश किया गया, जिसे सारंगी, तबला, गिटार और कीबोर्ड जैसे कई वाद्ययंत्रों के साथ जीवंत किया गया। जावेरी की भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने पारंपरिक धुनों में नई जान फूंक दी, जिसमें आधुनिक तत्वों का मेल भी शामिल था। उनके गाए रचनाओं में पुराने क्लासिक और नई कंपोज़िशन का संगम था, जिसने उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाया और विभिन्न दर्शकों को एक सुरम्य अनुभव प्रदान किया।
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