भोपाल । मध्यप्रदेश के पूर्व ओलिंपियनों ने कहा कि मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न दिया जाना चाहिए। उन्हें इस प्रतिष्ठित सम्मान से सालों पहले नवाजा जाना चाहिए था। प्रदेश के पूर्व ओलिंपियन असलम शेर खान और सैयद जलालउद्दीन रिजवी शामिल है। राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद किए जाने पर दोनों पूर्व खिलाडियों ने कहा कि हमारी मांग तो मेजर ध्यानचंद (दद्दा) को भारत रत्न दिए जाने की लंबे समय से है। उन्होंने कहा कि इस तरह किसी अन्य पुरस्कार का नाम बदलकर किसी के नाम करने से दोनों की प्रतिष्ठिा को ठेस पहुंची है। 1972 म्यूनिख ओलिंपिक के कांस्य पदक विजेता और 1975 विश्वकप हाकी की भारतीय टीम के सदस्य असलम शेर खान ने कहा कि मेजर ध्यानचंद का खेलों में विशिष्ट योगदान है। ओलिंपिक में तीन स्वर्ण पदक भारत को दिलाए हैं। पूरे देश के हाकी खिलाड़ी लंबे समय से उन्हे भारत रत्न देने की मांग कर रहे हैं। इसके बाद भी खेलों में पहला भारत रत्न सचिन तेंडुलकर को दिया गया। सचिन बेशक क्रिकेट के महान खिलाड़ी हैं लेकिन दद्दा से उनकी कोई तुलना नहीं है। खेलों में भारत रत्न के पहले दावेदार दद्दा ही थे। उन्होंने कहा कि खेलों में राजनीति नहीं होना चाहिए। पुरस्कार का नाम बदलने से यही प्रतीत हो रहा है। 1984 लास एंजलिस ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले सैयद जलालउद्दीन रिजवी ने कहा यह बिलकुल गलत निर्णय है। मेजर ध्यानचंद को हाकी का जादूगर कहा जाता है। पूरी दुनिया उनका सम्मान करती है। उन्होंने कहा कि खेल रत्न पुरस्कार पहले से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम से दिया जाता है। इसे तरह नहीं बदला जाना चाहिए। दद्दा को सम्मान ही देना था तो किसी और पुरस्कार की घोषण की जाना चाहिए थी।सरकार को उनके योगदान के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करना चाहिए था। इसके लिए पूरे देश में दद्दा के प्रशसकों ने प्रदर्शन तक किए है। कई बार उनके नाम की सिफरिश भी संसद में की गई है।