सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मणिपुर के जिरिबाम जिले में मैतेई बुजुर्ग की हत्या के विरोध में इलाके में हिंसा भड़क गई है। इसे देखते हुए जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया है। मैतेई लोग अपने घर छोड़ स्कूल में शरण लेने को मजबूर हुए हैं। वारदात गुरुवार शाम की गई। संदिग्ध कुकी उग्रवादियों पर हत्या का शक है।
NIA ने कहा है कि मणिपुर हिंसा का प्रमुख सूत्रधार थोंग्मिन्थांग हाओकिप उर्फ थांग्बोई हाओकिप उर्फ रोजर (केएनएफ-एमसी) 6 जून को इंफाल एयरपोर्ट से पकड़ा गया है। NIA ने उसके खिलाफ पिछले साल 18 जुलाई को भारतीय दंड विधान और यूए (पी) के तहत केस दर्ज कर रखा था।
कुकी और जोमी उग्रवादी संगठनों ने म्यांमार और पूर्वोत्तर भारत में सक्रिय अन्य आतंकी संगठनों के साथ साठगांठ कर क्षेत्र की वर्तमान अशांति का लाभ उठाने और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की नीयत से यह साजिश की थी।
राज्य में कई जगहों पर सुरक्षा बलों पर हुए हमलों में हाओकिप की खास भूमिका रही है। वह म्यांमार के आतंकी संगठन कुकी नेशनल फ्रंट (केएनएफ)-बी के संपर्क में रहा है। दूसरी तरफ, मणिपुर में 13 महीने से जारी हिंसा के कथित मास्टरमाइंड का खुलासा NIA ने किया है।
कुकी बोले- मैतेई ने पहले शुरू किए हमले
मोंग्बंग खुल इलाके के मैतेई लोगों ने भयभीत होकर अपने घर छोड़ पलायन कर दिया है। वे सब जिरिबाम के चिंग्डोंग लेइकाई में एलपी स्कूल में शरण लिए हैं। जिला मजिस्ट्रेट ने हिंसा और आगजनी फैलने से बचाने के लिए धारा-144 लगाई और फिर कर्फ्यू लगा दिया। कुकी-जो समुदाय का कहना है कि जिरिबाम की कुकी आबादी में मेइतेई संगठन की तरफ से हमले शुरू किए गए हैं।
कुकी उग्रवादियों पर बुजुर्ग की हत्या आरोप
मणिपुर अभी भी अशांत है। कथित तौर पर कुकी उग्रवादियों ने गुरुवार को जिरिबाम जिले के सोरोक अटिंग्बी खुनौ के सोइबाम शरतकुमार की हत्या कर दी थी। पिछले एक साल से ज्यादा समय से जारी हिंसा से जिरिबाम जिला कमोबेश अछूता रहा है। लेकिन इस घटना ने जिले में उबाल ला दिया है। आगजनी और सांप्रदायिक संघर्ष की आशंका पैदा होने के बाद प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है।
हिंसा से अछूता था जिरिबाम
3 मई 2023 से मणिपुर की इम्फाल घाटी में रहने वाले मैतेई और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी के बीच जातीय संघर्ष में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। मैतेई, मुस्लिम, नागा, कुकी और गैर-मणिपुरी समेत विविध जातीय संरचना वाला जिरिबाम अब तक जातीय संघर्ष से अछूता रहा था।