सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : हम जब सस्टेनेबल या टिकाऊपन की बात करते हैं तो यह क्या होता है। सबसे अधिक सस्टेनेबल टीशर्ट क्या है। मुझे लगता है कि सबसे अधिक सस्टेनेबल टीशर्ट है जो इस वक्त आपने पहले रखी है।” ये बातें पर्यावरणविद् और एप्को (पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन) से जुड़े लोकेंद्र ठक्कर ने कही। वह स्वर्गीय पुष्पेंद्र पाल सिंह (पीपी सर) के जन्मदिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में “पर्यावरण, पत्रकारिता और हम” विषय पर बोल रहे थे।
ठक्कर ने पीपी सर के व्यक्तित्व को पर्यावरण हितैषी बताते हुए कहा कि वे निजी जीवन में भी सस्टेनेबल लिविंग का ख्याल रखते थे। उन्होंने कहा “मैंने पुष्पेंद्र को कभी अलग-अलग कपड़ों में या ब्रांडेड कपड़ों में नहीं देखा। पुष्पेंद्र जी को कभी हमने ब्रांडेड कपड़ों में नहीं देखा। पुष्पेंद्र से हमें सस्टेनेबल लाइफस्टाइल की सीख मिलती है। वे एक लिविंग लिडेंज थे, जिनसे हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।”
कागज का सही इस्तेमाल करते थे पीपी सर
वह याद करते हुए कहते हैं कि पुष्पेंद्र कागज का भी सही इस्तेमाल करते थे। बैक ऑफ द इनवेलेप कैल्कुलेशन का मतलब क्या है, लोग लिफाफों का इस्तेमाल भी करते थे। टिश्यू पेपर का इस्तेमाल हाल के दिनों में काफी बढ़ा है, जो कि पहले देखने को नहीं मिलता था। पहले हम टीश्यू की जगह कपड़ों का इस्तेमाल करते थे।
तकनीक ने पत्रकारिता की राह आसान की, लेकिन काफी चुनौतियां
उन्होंने पत्रकारिता में तकनीक को लेकर बताते हुए कहा कि पर्यावरण को लेकर के मुझे लगता है कि पर्यावरण और पत्रकारिता इन दोनों विषयों पर बहुत बड़ी चुनौती है। तकनीक की वजह से रिपोर्टिंग आसान हुई है, लेकिन आप क्या लिख रहे हैं यह काफी महत्वपूर्ण हो गया है। निष्पक्ष रूप से पत्रकारिता करना मुश्किल हो गया है और एक पत्रकार को बहुत सारी बाधाओं के बीच काम करना पड़ता है। यादों में पीपी सर
कार्यक्रम में मौजूद पीपी सर के विद्यार्थी, साथी और परिवार के सदस्य मौजूद थे। उन्होंने उनसे जुड़े अपने संस्मरण साझा किए।
वरिष्ठ पत्रकार पंकज शुक्ला ने पीपी सर को याद करते हुए कहा कि वे अजातशत्रु की तरह थे और उनका कोई शत्रु नहीं थी। ये अलग बात है कि उन्होंने कभी किसी को शत्रु नहीं माना। उन्होंने हमे अक्षर को देखना समझना सिखाया और आखर को पहचानने की क्षमता दी है। वरिष्ठ पत्रकार संदीप कुमार ने बताया समय को पढ़ने की अद्भुत क्षमता थी उनके अंदर। बिना किसी अपेक्षा के वे दूसरों के लिए काम करते थे और उनका यह गुण हमें सीखना चाहिए। उन्होंने हमें समझाया कि कैसे अपने निजी पसंद-पापसंद को नजरअंदाज करके प्रोफेशन में आगे बढ़ना चाहिए। पीपी सर की छोटी बहन योगिता सिंह ने बताया कि भैया हमारे बड़े भाई थे लेकिन उन्होंने मुझे बेटी की तरह पाला। वह अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते थे और बुखार में भी वह कहते मैं ठीक हूं और काम में लग जाते थे। उन्होंने कहा, “भले ही वह मेरे भाई हों लेकिन मुझे अब लगता है कि उनमें कोई अलग ही शक्ति थी, मानो विवेकानंद हों।”