सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: इंदौर पुलिस के द्वारा आपराधिक मामलों में केस डायरी समय पर प्रस्तुत न किए जाने को लेकर मंगलवार को इंदौर-उज्जैन संभाग के 23 वरिष्ठ पुलिस अफसरों को वर्चुअली हाई कोर्ट में पेश होना पड़ा। जस्टिस संजीव कलगांवकर की खंडपीठ में सुबह सबसे पहले इसी मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए इंदौर पुलिस कमिश्नर राकेश गुप्ता सहित 23 अफसर सुबह 10 बजे से ही वर्चुअल सुनवाई में शामिल हो गए।

पुलिस की सफाई और कोर्ट की सख्ती

इंदौर पुलिस कमिश्नर राकेश गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि 2023 से पहले के मामलों में केस डायरी पेश करने में दिक्कत हो रही है, जबकि 2023 के बाद के मामलों में समय पर डायरी पेश की जा रही है। कोर्ट ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि नए और पुराने दोनों तरह के मामलों में केस डायरी देरी से आ रही है। कोर्ट ने पूछा कि केस डायरी भेजने में क्या दिक्कत हो रही है?

राजगढ़, धार, उज्जैन और अन्य जिलों के पुलिस अधीक्षकों से भी जवाब तलब किया गया। राजगढ़ के एसपी अभिषेक आनंद ने बताया कि नोटिस समय पर नहीं मिलने और डायरी तैयार होने में देरी के कारण ऐसा हुआ। गुप्ता ने कहा कि 2023 से पहले के मामलों में डायरी खोजने में समय लग रहा है, अगर एक सप्ताह का समय मिले तो यह समस्या हल हो सकती है।

फ्लैगिंग की गलती और समन्वय की कमी बनी देरी का कारण

धार के एसपी मनोज सिंह ने बताया कि फ्लैगिंग में गलती होने के कारण डायरी प्रस्तुत करने में देरी हुई। राजगढ़ के एसपी ने इंदौर से राजगढ़ तक डायरी पहुंचने में लगने वाले समय को देरी का कारण बताया। उन्होंने यह भी कहा कि समन्वय की कमी के चलते भी यह समस्या हो रही है।

सीसीटीएनएस नेटवर्क से काम होगा आसान

जस्टिस कलगांवकर ने पूछा कि क्या ऑनलाइन सिस्टम में कोई समस्या है? इस पर पुलिस अधिकारियों ने सहमति जताई कि सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम) पर सब अपडेट रहता है और ऑनलाइन केस डायरी जल्द भेजी जा सकती है। इंदौर के सीपी गुप्ता ने कहा कि सीसीटीएनएस के माध्यम से काम जल्द किया जा सकता है। इस वर्चुअल सुनवाई में इंदौर, रतलाम, नीमच, बड़वानी, मंदसौर, धार, अलीराजपुर, देवास, झाबुआ, आगर, खरगोन, राजगढ़, शाजापुर और उज्जैन के एसपी भी शामिल हुए।

गलत केस नंबर बना देरी का कारण

पुलिस कमिश्नर राकेश गुप्ता ने बताया कि इंदौर से जुड़े 10 मामलों में केस डायरी पेश न होने की जानकारी मिली थी, जिसमें कुछ मामलों में केस नंबर गलत था, जबकि अन्य मामलों में केस डायरी समय पर महाधिवक्ता कार्यालय भेज दी गई थी।

पुलिस अफसरों को क्यों किया गया तलब?

अधिवक्ता मनीष यादव के अनुसार, खरगोन के एक फरियादी की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान केस डायरी नहीं पेश की गई, जिससे जस्टिस कलगांवकर ने नाराजगी जताई। इस मामले में अन्य केस की भी रिपोर्ट मंगवाई गई, जिसमें पाया गया कि सात दिनों में 35 से अधिक मामलों में केस डायरी प्रस्तुत नहीं की गई थी। इसके बाद हाई कोर्ट ने संबंधित पुलिस अधीक्षकों को वर्चुअल पेशी के लिए तलब किया।