सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: जम्मू-कश्मीर में नई सरकार के गठन से पहले राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश रविवार देर रात जारी किया गया। गृह मंत्रालय ने बताया कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने नए मुख्यमंत्री की शपथ के तुरंत पहले राष्ट्रपति शासन खत्म करने का आदेश दिया।

इससे पहले, नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक दल के नेता उमर अब्दुल्ला ने 11 अक्टूबर को राजभवन में LG मनोज सिन्हा से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। जम्मू-कश्मीर में पिछले विधानसभा चुनाव 10 साल पहले 2014 में हुए थे। तब से राज्य में केंद्र का शासन था।

उमर अब्दुल्ला ने दो सीटों – गांदरबल और बडगाम से चुनाव जीता है। वह गांदरबल सीट बरकरार रख सकते हैं, जबकि कुपवाड़ा से चुनाव हारने वाले नासिर असलम वानी बडगाम सीट से फिर से चुनाव लड़ेंगे। राष्ट्रपति शासन हटाने का नोटिफिकेशन रविवार देर रात जारी किया गया।

राष्ट्रपति शासन हटाने के प्रमुख कारण:

  1. नई सरकार के कार्यभार संभालने के लिए विधानसभा के कामकाज से जुड़े प्रावधानों को बहाल करना जरूरी है।
  2. राष्ट्रपति शासन के रहते हुए निर्वाचित सरकार को शपथ लेने की अनुमति नहीं थी।
  3. नए मुख्यमंत्री की शपथ से पहले राष्ट्रपति शासन हटाना अनिवार्य था।

उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटें जीतीं, और उनके दादा शेख अब्दुल्ला और पिता फारूक अब्दुल्ला की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अब वह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की तैयारी कर रहे हैं।

पार्टी समर्थन: उमर अब्दुल्ला को 7 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी प्राप्त हुआ है। इसके अलावा, आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी उनका समर्थन किया है, जिससे उनकी संख्या 46 हो गई है।

भाजपा और पीडीपी की स्थिति: भाजपा ने जम्मू क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि पीडीपी को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा। महबूबा मुफ्ती की पार्टी को 25 सीटों का नुकसान हुआ है, जिससे पार्टी के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं।

इस घटनाक्रम के बाद जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है, और नए मुख्यमंत्री के आने से राज्य में विकास और स्थिरता की नई उम्मीदें जागृत हो सकती हैं।