सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भपाल: केन्द्रीय संस्कृत विश्ववि‌द्यालय के भोपाल परिसर में जैन दर्शन विभाग दद्वारा परिचची का आयोजन किया गया यह परिचर्चा शोध केंद्र एवं जैन दर्शन विभाग के संयुक्त उपक्रम में आयोजित हुआ।

जिसका विषय जैन साहित्य की परंपरा और उपयोगिता में शोध संभावनाएं है परिचर्चा के मुख्य वक्ता पो अनेकान्त कुमार जैन, लाल बहादुर शास्त्री विश्ववि‌द्यालय नई दिल्ली डॉ सुरेश जैन सेवानिवृत्त आईएएस भोपाल मुख्य अतिथि एवं प‌द्मश्री अभिराज राजेंद्र मिश्र, पूर्व कुलपति संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी तथा शोध केंद्र समन्वयक नीलाम तिवारी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता परिसर निदेशक प्रो रमाकांत पाण्डेय ने की। परिसर के वेद वेदांग वि‌द्याशाखा अध्यक्ष सुबोध शर्मा मौजूद रहे। मुख्य वक्ता अनेकांत कुमार जैन ने अपने उद्बो धन में कहा कि जैन दर्शन के साहित्य में शोध छात्रों के लिए अनेक अवसर उपलब्ध है।

छात्रों को जैन साहित्य का अध्ययन करना आवश्यक है। पदमश्री प्रो अभिराज राजेंद्र मिश्र ने कहा कि संप्रदाय धर्म और देशना की दृष्टि से और साहित्य में प्रतिपादित मूल्यों की दृष्टि से मुझे जैन साहित्य जितना साफ सुथरा, सामंजस्य पूर्ण प्रतीत हुआ हैं जिसमें किसी प्रकार की कोई शर्त नहीं, कोई शपथ नहीं है।
यह ऐसा अद्‌भुत दर्शन हैं जो मानवता का समर्थन करने वाला है पूर्व आईएएस अधिकारी सुरेश जैन ने वि‌द्यार्थियों को उदात्त व्यापक दृष्टिकोण को अपनाने के लिए प्रेरित किया। शोध केंद्र समन्वयक नीलाम तिवारी ने कहा कि साहित्य का केवल पठन पाठन ही पर्याप्त नहीं है उसे स्मरण में रखना भी आवश्यक है।

जैन दर्शन के साहित्य में अनेक ऐसे विषय है जिनमें छात्रों को शोध करने के लिए अवसर अवसर प्राप्त होंगे। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो, रमाकांत पांडेय ने बताया कि जैन दर्शन के साहित्य का संस्कृत साहित्य से अटूट संबंध है। छार्ग ने परिचर्चा के विषय से जुड़े हुए अनेक प्रश्नों के साथ अपनी समस्याओं का समाधान एवं मुख्य वक्ता से मार्ग निर्देशन भी प्राप्त किया।

डॉ. योगेश जैन, सहआचार्य दर्शनवि‌द्या शाखा अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के समन्वयक ने परचर्चा के विषय की प्रस्ताविका एवं वाचिक स्वागत किया। उन्होंने जैन साहित्य की परंपरा एवं जैन साहित्य के दद्वादश अंगों की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रताप शास्त्री ने एवं आलोक जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।