सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: बिहार की मशहूर लोक गायिका और छठ महापर्व की आवाज़, शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। उनका जाना न केवल बिहार, बल्कि पूरे भारत के लोक संगीत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। अपनी मधुर आवाज़ और सरल व्यक्तित्व के लिए मशहूर शारदा सिन्हा दशकों से बिहार और भारत के हर कोने में अपनी छाप छोड़ चुकी थीं।

प्रारंभिक जीवन और संघर्ष:
शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के सुपौल जिले में हुआ था। एक साधारण परिवार में पली-बढ़ीं शारदा जी ने अपनी मेहनत और लगन से संगीत के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई। आकाशवाणी पटना से अपने करियर की शुरुआत करते हुए, उन्होंने 1972 में अपना पहला ऑडिशन दिया। इसके बाद उनकी मधुर आवाज़ ने बिहार से निकलकर पूरे देश को अपना दीवाना बना दिया।

लोकगीतों में योगदान:
शारदा सिन्हा का नाम छठ पूजा से लेकर बिहार के हर बड़े पर्व से जुड़ा हुआ है। उनके गीत ‘केलवा के पात पर उगेलन सूरज’, ‘सुन सखी मंगल गावे करिया’ और ‘जगदंबा घर में दिया बार अईनी हो’ आज भी हर त्योहार में सुनाई देते हैं। खासतौर पर छठ पूजा के दौरान उनके गीतों का महत्व और बढ़ जाता है। बिहार के हर गाँव और शहर में छठ महोत्सव के दौरान उनकी आवाज़ की गूंज आज भी कायम है।

सम्मान और पुरस्कार:
शारदा सिन्हा को उनके योगदान के लिए पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया। 2018 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया, जो उनके संगीत के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।

व्यक्तित्व और संबंध:
शारदा सिन्हा जितनी महान गायिका थीं, उतना ही मधुर उनका व्यक्तित्व था। बिहार संगीत अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. शंकर प्रसाद ने बताया कि शारदा जी अपने वरिष्ठों का अत्यंत सम्मान करती थीं और अक्सर उन्हें शॉल भेंट करती थीं। वे नई पीढ़ी के कलाकारों को भी प्रोत्साहित करने के लिए जानी जाती थीं।

फिल्मों में योगदान:
शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड में भी अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा। उन्होंने ‘हम आपके हैं कौन’ जैसी सुपरहिट फिल्म में गीत ‘लो चली मैं’ गाया, जो आज भी श्रोताओं के दिलों में बसा हुआ है। इस गीत के माध्यम से उन्होंने भारतीय लोक संगीत को बॉलीवुड में भी स्थापित किया।

अंतिम दिनों की कहानी:
बीमार चल रहीं शारदा जी का इलाज दिल्ली के एम्स अस्पताल में हो रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनकी तबियत की जानकारी लेते रहे। उनके बेटे ने उनके निधन की सूचना सोशल मीडिया पर दी और लिखा कि ‘छठी मईया ने मां को अपने पास बुला लिया।’ इस खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।

शारदा सिन्हा की विरासत:
शारदा सिन्हा भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज़ हमेशा हमारे साथ रहेगी। उनके गीत हमें हमारी संस्कृति, हमारे त्योहारों और हमारी जड़ों से जोड़े रखेंगे। ITDC News परिवार की ओर से शारदा जी को भावभीनी श्रद्धांजलि।