सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल/इन्दौर: शहर में हो रही पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर समाज सेवी डॉ.अमन शर्मा द्वारा उच्च न्यायालय खंडपीठ इन्दौर के समक्ष जनहित याचिका प्रस्तुत की गई। याचिकाकर्ता की और से पैरवी अभिभाषक अभिनव धनोड़कर ने की। मध्यप्रदेश सरकार, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर निगम इन्दौर और कलेक्टर इन्दौर को उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 20 अगस्त 2024 को होगी।
अभिभाषक धनोड़कर द्वारा मध्यप्रदेश वृक्षों परिरक्षण अधिनियम 2000 की धारा 4 एवं 6 के माध्यम से चुनौती दी गई। जिसमें याचिकाकर्ता के द्वारा यह बताया गया की अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत नगर निगम के आयुक्त ही वृक्ष अधिकारी के रूप नियुक्त किए गए है। शहर के विकास कार्य भी नगर निगम द्वारा ही किया जा रहा है। वृक्ष अधिकारी बिना सोचे समझे विकास कार्य की ओर अग्रसर होकर वर्षों पुराने/प्रचीन और बड़े पेडों को धड़ल्ले से काटने का कार्य कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता द्वारा अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत वर्णित प्रक्रिया को भी याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई। धारा 6 के अतिरिक्त भी एक और प्रक्रिया को अपना लिया गया है, जिसमें निरीक्षक नामक एक पद पर नियुक्ति दी गई है और पेड़ों की कटाई को लेकर 100 रुपए आवेदन शुल्क और 500 रुपए का मुआवजा शुल्क भी प्रक्रिया में शामिल कर दिया गया है जो पूर्णत: विधि के विपरीत है।
याचिका में एक पेड़ मां के नाम मुहिम का समर्थन
याचिका में मुहिम चलाई जा रही एक पेड़ मां के नाम के माध्यम से जगह-जगह पौधे लगाए जा रहे है लेकिन वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए और शहर में दिन-प्रतिदिन बढ़ते वायु प्रदूषण और समय के साथ बढ़ते गर्म तापमान का सामना करना पड़ रहा है जिसका सीधा असर मानव जीवन, पशु पक्षियों के जीवन पर हमें आए दिन देखने को मिल रहा है।
अगर ऐसी स्थिति में भी शहर के पुराने पेड़ों को काटा जाएगा तो आने वाले समय में बढ़ते वायु प्रदूषण, गर्म तापमान, से भविष्य में प्रकृति के कहर का सामना करना बड़ा ही मुश्किल साबित होगा। क्योंकि पौधों को पेड़ बनने में सालों का समय लगता है।
पेड़ कटाई की अनुमति को लेकर एक समिति बनाने की मांग
दायर याचिका में एमओजी लाईन और मल्हारगंज आश्रम में हुई पेड़ कटाई को लेकर संपूर्ण विवरण दिया गया है। याचिका में पेड़ कटाई की अनुमति को लेकर एक समिति बनाने का भी उच्च न्यायालय से आग्रह किया गया है।