सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: महाराष्ट्र में आगामी चुनावों से पहले कांग्रेस को एक महत्वपूर्ण चेतावनी मिली है, जो हरियाणा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में की गईं 8 बड़ी गलतियों से जुड़ी है। इन राज्यों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन और पार्टी के भीतर की समस्याओं ने महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करने की संभावना पैदा कर दी है।

हरियाणा में नेतृत्व की कमी:
हरियाणा में कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया के बीमार होने के चलते चुनाव के दौरान नेतृत्व का अभाव रहा। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने आखिरी हफ्ते में रैलियों की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। नेतृत्व की कमी के कारण कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।

आप से गठबंधन न करना पड़ा महंगा:
कांग्रेस के लिए हरियाणा में एक और बड़ी गलती आप से गठबंधन न करना साबित हुई। 5 सीटों पर कांग्रेस की हार का अंतर आम आदमी पार्टी के वोटों से कम था। गठबंधन न होने के कारण कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा।

छत्तीसगढ़ में गुटबाजी:
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच गुटबाजी ने भी कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया। पार्टी के अंदरूनी कलह ने चुनावी मैदान में कांग्रेस की स्थिति कमजोर कर दी, जिससे परिणाम उसके पक्ष में नहीं आए।

मध्य प्रदेश में रैलियों की कमी:
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की रैलियों की संख्या बीजेपी की तुलना में आधी रही। कमलनाथ ने सिर्फ 114 रैलियां कीं, जबकि बीजेपी ने 634 रैलियां कीं। प्रचार के इस अंतर ने कांग्रेस की सीटों पर नकारात्मक असर डाला और पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।

क्या महाराष्ट्र में बदलेगी कांग्रेस की रणनीति?
इन तीन राज्यों की गलतियों ने कांग्रेस के चुनावी भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राजनीतिक विश्लेषक यह सवाल कर रहे हैं कि क्या कांग्रेस महाराष्ट्र में भी इन्हीं गलतियों को दोहराएगी या इस बार कुछ सीखते हुए अपनी रणनीति को बदलने का प्रयास करेगी?

क्या महाराष्ट्र कांग्रेस के लिए एक नई कहानी लिखेगा या पुरानी गलतियों का सिलसिला जारी रहेगा? यह तो आने वाले चुनावी नतीजे ही बताएंगे।