सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कआईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल:  हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री नायब सैनी इस हफ्ते एक महत्वपूर्ण कैबिनेट मीटिंग बुलाने की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें 12 सितंबर से पहले विधानसभा का मानसून सत्र बुलाने या विधानसभा भंग करने का निर्णय लिया जा सकता है।

राज्य में संवैधानिक संकट की वजह यह है कि संविधान के अनुसार विधानसभा का सत्र हर 6 महीने में एक बार अनिवार्य रूप से बुलाना होता है। हरियाणा विधानसभा का पिछला सत्र 13 मार्च को आयोजित हुआ था, जिसमें मुख्यमंत्री नायब सैनी ने विश्वास मत हासिल किया था। अब 12 सितंबर तक सत्र बुलाना अनिवार्य है। अगर सत्र नहीं बुलाया गया तो विधानसभा भंग करने का विकल्प खुला रह सकता है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) संवैधानिक विशेषज्ञों से इस मामले पर सलाह-मशविरा कर रहा है। माना जा रहा है कि सरकार मानसून सत्र बुलाने को तैयार नहीं है, इसलिए जल्द होने वाली कैबिनेट मीटिंग में विधानसभा भंग करने का फैसला लिया जा सकता है।

इस संवैधानिक संकट का कारण 6 महीने में एक बार सत्र बुलाने की संवैधानिक अनिवार्यता है, जिसे टालना अब संभव नहीं है। अगर 12 सितंबर तक सत्र नहीं बुलाया गया, तो संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार विधानसभा भंग करनी होगी।

हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है और मौजूदा 14वीं विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक है। यदि विधानसभा को भंग किया जाता है तो आगामी चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।

सरकार को हाल ही में राज्यसभा चुनाव का इंतजार था, जिसमें BJP उम्मीदवार किरण चौधरी निर्विरोध चुनी गई हैं। अब चुनाव संपन्न हो चुके हैं, जिससे विधानसभा भंग करने की तैयारी तेज हो गई है। संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर राज्यसभा चुनाव से पहले विधानसभा भंग होती, तो चुनाव रद्द करना पड़ता।