सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क– इंटीग्रेटेड ट्रेड- न्यूज़ भोपाल: हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गरम है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में महेंद्रगढ़ में ‘पिछड़ा वर्ग सम्मान सम्मेलन’ में भाग लिया। इस सम्मेलन का आयोजन बीजेपी के दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है। पिछले दस वर्षों में बीजेपी ने हरियाणा में गैर-प्रभावी दलों के साथ गठबंधन कर शानदार प्रदर्शन किया है। इस बार पार्टी का लक्ष्य 21% ओबीसी वोट को अपने पक्ष में करना है।
सम्मेलन के दौरान अमित शाह ने ओबीसी समुदाय को संबोधित किया और उनके समर्थन के बदले में ज्यादा काम करने का वादा किया। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा ओबीसी के लिए चलाई जा रही योजनाओं का उल्लेख किया। शाह ने कहा, “पिछड़े वर्गों ने भाजपा को अपना भरपूर आशीर्वाद दिया है। अब भाजपा की जिम्मेदारी है कि वह बदले में उनके लिए पहले से भी ज्यादा काम करे।”
बीजेपी ने 2014 में बहुमत हासिल कर राजनीति के पंडितों को चौंका दिया था। जाट डॉमिनेंस से नाराज़ ओबीसी ने भाजपा का समर्थन किया था। हालांकि हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा को 10 में से पांच सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है, जिसका मुख्य कारण जाट समुदाय में भाजपा के प्रति गुस्सा है।
अमित शाह ने सम्मेलन में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, जो खुद ओबीसी हैं, द्वारा समुदाय के लिए किए गए कार्यों की लिस्ट पेश की। इसमें ओबीसी के लिए क्रीमी लेयर की सीमा को 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये करना और पंचायतों में आरक्षण बढ़ाने की घोषणाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा, “यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को दर्शाते हैं।”
उन्होंने याद दिलाया कि जब मोदी 2014 में पहली बार संसद में आए थे, तब उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार दलितों, गरीबों और पिछड़े वर्गों की होगी। अमित शाह ने हरियाणा के लोगों का 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों और दोनों विधानसभा चुनावों में भाजपा को चुनने के लिए आभार जताया। सैनी को मुख्यमंत्री बनाए जाने का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि हरियाणा में बीजेपी ने पिछड़े वर्ग के बेटे को मुख्यमंत्री बनाया है। उन्होंने कहा, “आज नरेंद्र मोदी जी ने अपनी सरकार के 71 मंत्रियों में से 27 मंत्री पिछड़े वर्ग से बनाए हैं, जिनमें हरियाणा से दो मंत्री भी शामिल हैं।”
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने राज्य को भ्रष्टाचार और जातिवाद के अलावा कुछ नहीं दिया। इस सम्मेलन के माध्यम से बीजेपी ने एक बार फिर से अपने मजबूत वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।