सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: भारत के 17 साल के ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने इसी सप्ताह ​​​​​​​टोरंटो में कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट जीतकर इतिहास रच दिया। वे वर्ल्ड खिताब के लिए सबसे कम उम्र में चुनौती देने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। पांच बार के वर्ल्ड चैम्पियन नार्वे के‎मैग्नस कार्लसन ने इस टूर्नामेंट से पहले कहा था कि भारतीय ‎खिलाड़ी किसी भी सूरत में इस बार‎ कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट नहीं जीत ‎पाएंगे। खासकर डी गुकेश को तगड़ी हार‎ मिलेगी क्योंकि उनके विरोधी बहुत ‎मजबूत हैं, लेकिन 17 साल के इस युवा‎ चैम्पियन ने न केवल मैग्नस को गलत‎ साबित किया बल्कि अब वर्ल्ड चैम्पियन‎ बनने के भी सबसे युवा दावेदार बन गए ‎हैं। वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए गुकेश का‎ मुकाबला अब चीन के डिंग लिरेन से‎ होगा।‎

गुकेश को इस मुकाम तक पहुंचाने के ‎लिए उनके माता-पिता को भी काफी ‎त्याग करने पड़े। जब गुकेश ने शतरंज में‎ बेहतर करना शुरू किया तो पेशे से‎ डॉक्टर पिता को नौकरी छोड़नी पड़ी।‎ दरअसल विदेश में टूर्नामेंट होने के ‎कारण वे मरीजों को समय नहीं दे पाते थे‎, ऐसे में उन्होंने अपना क्लीनिक बंद कर ‎दिया। इसका नुकसान यह हुआ कि‎ उनकी आय सीमित हो गई। गुकेश के ‎टूर्नामेंट और परिवार के खर्च का बोझ मां‎ पद्मा पर आ गया। उस समय गुकेश को‎ प्रायोजक नहीं मिल रहे थे जबकि विदेश ‎में टूर्नामेंट खेलने का खर्च बहुत अधिक ‎था। ऐसे में कई बार टूर्नामेंट में शामिल ‎होने के लिए उन्हें लोन तक लेने पड़े।‎

उनके पिता रजनीकांत विदेशी‎ टूर्नामेंट का एक किस्सा सुनाते हैं। ‎2021 में जब वे गुकेश को यूरोप लेकर‎ गए तब उन्हें भारत वापस आने में‎ लगभग 4 महीने लग गए। दरअसल‎ गुकेश ने इस दौरान 13 से 14 टूर्नामेंट ‎खेले। उन्हें तीन बार फ्लाइट छोड़नी ‎पड़ी। गुकेश को चेस के अलावा‎ क्रिकेट, बैडमिंटन जैसे खेल भी पसंद‎है। उन्हें खाने का बेहद शौक है। ‎

12 की उम्र में बने दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंड मास्टर‎

डी गुकेश ने 7 साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू कर‎ दिया था। 2015 में उन्होंने अंडर-9 एशियन स्कूल‎ चेस चैम्पियनशिप जीती। इसके बाद 2018 में‎ अंडर-12 कैटेगरी में वर्ल्ड यूथ चैम्पियनशिप का ‎खिताब जीता। 2017 में उन्होंने 34वें‎ कैप्पेल-ला-ग्रांडे-ओपन में इंटरनेशनल मास्टर बनने ‎के मानकों को पूरा कर लिया।

इसके बाद 15 जनवरी‎ 2019 को 12 साल 7 महीने और 17 दिन की उम्र में‎ दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंड मास्टर बन गए।‎ हालांकि उनका यह रिकॉर्ड अमेरिकी ग्रैंड मास्टर‎ अभिमन्यु मिश्रा ने तोड़ दिया। वे 12 साल 4 महीने में ‎ग्रैंड मास्टर बने। गुकेश अब दुनिया के तीसरे सबसे‎ युवा ग्रैंड मास्टर हैं। दूसरे नंबर पर रूस के सर्गेई‎ कारजाकिन हैं जो 12 साल 7 महीने में ग्रैंड मास्टर‎बने थे। गुकेश कैंडिडेट्स चैम्पियनशिप जीतने वाले ‎अब दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बने हैं।‎

7 साल की उम्र में ‎खेलना शुरू किया था शतरंज‎

गुकेश का पूरा नाम डोमाराजू गुकेश है। उनका ‎जन्म चेन्नई में रजनीकांत और पद्मा के घर हुआ ‎था। पिता पेशे से आंख, नाक और गला रोग ‎विशेषज्ञ डॉक्टर हैं जबकि मां माइक्रो बायोलाजिस्ट ‎हैं। पिता रजनीकांत क्रिकेट प्लेयर थे। कॉलेज के ‎दिनों में क्रिकेट खेलते थे। उन्होंने राज्य स्तरीय ‎सिलेक्शन के लिए ट्रॉयल भी दिए, लेकिन परिवार‎ के दबाव में क्रिकेट छोड़कर डॉक्टरी की पढ़ाई‎ करने लगे। गुकेश सात साल की उम्र में शतरंज‎ खेलने लगे थे। बेटे की रुचि को देखते हुए‎ रजनीकांत ने उन्हें खूब प्रेरित किया। खेल और‎ पढ़ाई के बीच सामंजस्य बनाने में दिक्कत न हो ‎इसलिए चौथी कक्षा के बाद नियमित पढ़ाई करने ‎से छूट दे दी। एक साक्षात्कार में रजनीकांत ने‎बताया कि गुकेश ने प्रोफेशनल शतरंज खेलना ‎शुरू करने के बाद से वार्षिक परीक्षा नहीं दी है।‎

रोचक/उपलब्धि : रैंकिंग में विश्वनाथन आनंद को पीछे छोड़ा‎

पिता के अनुसार गुकेश एक साल में लगभग‎250 टूर्नामेंट मैच तक खेल लेते हैं जबकि दूसरे‎खिलाड़ी 150 मैच भी नहीं खेल पाते।‎

यूरोप में टूर्नामेंट के दौरान पैसों की बचत के लिए‎ वे पिता के साथ एयरपोर्ट पर ही सो गए थे।‎

2020 में कोरोना काल आर्थिक रूप से उनके‎परिवार के लिए अच्छा साबित हुआ। शतरंज के‎टूर्नामेंट ऑनलाइन हो रहे थे। ऐसे में ट्रैवल का खर्च‎बचा। पिता को दोबारा हॉस्पिटल में काम मिला और‎उनकी आर्थिक स्थिति ठीक होने लगी।‎

सितंबर 2023 में भारतीयों की टॉप-10‎अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में विश्वनाथन आनंद को पीछे‎छोड़ दिया है। 37 साल में यह पहला मौका है जब‎विश्वनाथन आनंद टॉप 10 रैंकिंग से बाहर हुए हैं।‎

शतरंज की अंतरराष्ट्रीय रेटिंग में 2750 तक‎पहुंचने वाले वे दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी हैं।‎