सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : अमेरिका में भारतीय एच-1बी वीजा होल्डर के खिलाफ हो रहे विरोध को लेकर केंद्र सरकार अलर्ट हो गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्रालय, IT मंत्रालय और कॉमर्स डिपार्टमेंट अमेरिका में वैध रूप से काम करने वाले भारतीय प्रोफेशनल्स की स्थिति पर नजर रख रही है।
सरकार के एक सूत्र ने बताया कि ऐसी स्थिति नहीं होनी चाहिए, जहां हमारे भारतीय प्रोफेशनल्स को अमेरिका में रहने की दिक्कत हो। सरकार इस बारे में चिंतित है। IT मंत्रालय भी स्थिति को समझने के लिए बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों से फीडबैक ले रहा है। IT मंत्रालय ने कंपनियों से पूछा है कि ग्राउंड पर इस वीजा को लेकर क्या हालात हैं।
सरकार के सूत्र ने कहा कि हम नहीं चाहते की भारत-अमेरिका के बीच कानूनी ढांचे में कोई बाहरी कारण की चलते दिक्कतें आएं। अमेरिका की ओर से भी यह नहीं होना चाहिए।
दरअसल, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड इस वीजा के विरोध में रहे हैं। उनके समर्थक उद्योगपति मस्क ने भी सोमवार को कहा था कि H1B वीजा खत्म जैसा है। उन्होंने एक पोस्ट के जवाब में कहा कि इस प्रोग्राम में न्यूनतम सैलरी और मेंटेनेंस को बढ़ाकर इसमें सुधार किया जाना चाहिए। हालांकि, ट्रम्प ने कई मौकों पर वीजा के समर्थन में भी बयान दिए हैं।
H-1B नॉन-इमीग्रेंट वीजा होता हैं, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी प्रोफेशनल्स को नियुक्त करने की अनुमति होती है। इसके तहत हर साल करीब 45 हजार भारतीय अमेरिका जाते हैं।
केंद्र सरकार वीजा पॉलिसी में प्रतिबंध नहीं देखना चाहती
सरकार इस बात पर भी नजर रख रही है कि डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस में वापसी के बाद IT और मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिकी वीजा पॉलिसी किस रूप में बदल सकती है। सूत्र ने कहा कि हम इस पॉलिसी में और प्रतिबंध नहीं देखना चाहते हैं।
इसके अलावा केंद्र सरकार यह भी देखना चाहती है कि मल्टी नेशनल कंपनियां भारतीय प्रोफेशनल्स की नियुक्ति में कितनी रुची रख रहे हैं। इसके लिए कंपनियां भारत में कितने ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) स्थापित कर रही है। भारत में फिलहाल 1800 से अधिक GCC हैं। स्थिति पर बेहतर पकड़ बनाने के लिए विदेश मंत्रालय अमेरिका में भारतीय मिशन से अपडेट ले रहा है।
वीजा पर ट्रम्प समर्थकों की राय भी आपस में बंटी
- H-1B वीजा को लेकर ट्रम्प समर्थकों की राय भी आपस में बंटी हुई है। लॉरा लूमर, मैट गेट्ज और एन कूल्टर जैसे ट्रम्प समर्थक खुलकर इस वीजा का विरोध कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि H-1B वीजा से विदेशी लोगों को अमेरिका में नौकरी मिलेगी और अमेरिकी लोगों की नौकरियां छिन जाएगी।
- दूसरी तरफ जल्द ही ट्रम्प सरकार में डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DoGE) संभालने वाले इलॉन मस्क और विवेक रामास्वामी ने H-1B वीजा का समर्थन किया है। इनका कहना है कि अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए दुनिया के टॉप लोगों को नौकरियों पर रखनी चाहिए।
H-1B वीजा क्या होता है?
H-1B नॉन-इमीग्रेंट वीजा होता हैं, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियों को स्पेशल टेक्निकल स्किल्स वाले पदों पर विदेशी प्रोफेशनल्स को नियुक्त करने की अनुमति होती है। इस वीजा के जरिए टेक्नोलॉजी सेक्टर की कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से हजारों वर्कर्स की नियुक्ति करती है।
H-1B वीजा आमतौर पर उन लोगों के लिए जारी किया जाता है,जो किसी खास पेशे (जैसे-IT प्रोफेशनल, आर्किट्रेक्टचर, हेल्थ प्रोफेशनल आदि) से जुड़े होते हैं। ऐसे प्रोफेशनल्स जिन्हें जॉब ऑफर होता है उन्हें ही ये वीजा मिल सकता है। यह पूरी तरह से एम्पलॉयर पर डिपेंड करता है। यानी अगर एम्पलॉयर नौकरी से निकाल दे और दूसरा एम्पलॉयर ऑफर न करे तो वीजा खत्म हो जाएगा।
10 में से 7 H-1B वीजा भारतीयों को ही मिलता है
बता दें कि अमेरिका हर साल 65,000 लोगों को H-1B वीजा देता है। इसकी समयसीमा 3 साल के लिए होती है। जरूरत पड़ने पर इसे 3 साल के लिए और बढ़ाया जा सकता है। अमेरिका में 10 में से 7 H-1B वीजा भारतीय लोगों को मिलती है। इसके बाद चीन, कनाडा, साउथ कोरिया का नंबर आता है।
#H1Bवीजा #केंद्रसरकार #भारतीयपेशेवर #अमेरिका