भोपाल । राजधानी के सरकारी अस्पताल हमीदिया में म्यूकार्माइकोसिस (फंगस) के मरीजों को इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं। मरीज के परिजन बीते तीन दिनों से लाइसोसोमल एंफोटरइसिन बी इंजेक्शन के लिए भटक रहे हैं। उसके बदले पोसाकोंनाजोल इंजेक्शन दिया जा रहा है जो कम प्रभावी है। इसके अलावा यह इंजेक्शन सीधे नस में लगाया जाता है। लिहाजा कई मरीज इंजेक्शन लगवाने से मना कर देते हैं। अस्पताल में फिलहाल करीब 30 मरीज भर्ती हैं। हमीदिया अस्पताल में फंगस के मरीजों के लिए इंजेक्शन की आपूर्ति मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के यहां से की जाती है। सीएमएचओ को यह इंजेक्शन मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सप्लाई कारपोरेशन की तरफ से उपलब्ध कराए जाते हैं। इंजेक्शन की किल्लत का यह हाल तब है जब सरकार कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए सभी दवाएं उपलब्ध होने का दावा कर रही है। यह पहली बार नहीं है जब अस्पताल में इंजेक्शन की दिक्कत आई हो। इसके पहले भी यहां पर सबसे अच्छा इंजेक्शन लाइपोसोमल एंफोटरइसिन बी की जगह मरीजों को लिपिड कांप्लेक्स एंफोटरइसिन दिया गया है। जो कम प्रभावी है। इसकी वजह से हर दिन 3 से 4 मरीजों को इंजेक्शन लगाने के बाद ठंड के साथ बुखार की समस्या हो रही थी। उस दौरान भी कई मरीजों ने इंजेक्शन लगाने से मना कर दिया था। अच्छी गुणवत्ता का इंजेक्शन नहीं मिलने की वजह से फंगस का संक्रमण ब्रेन तक पहुंच जाता है, जो मरीज के लिए घातक हो सकता है। भोपाल के निजी और सरकारी अस्पतालों में भर्ती कई मरीजों को पर्याप्त इंजेक्शन नहीं मिल पाने की वजह से उनका संक्रमण बढ़ गया। मालूम हो कि अस्पताल प्रबंधन हमेशा की तरह इस बार भी अस्पताल में किसी भी तरह के इंजेक्शन एवं दवाइयों के अभाव से पूरी तरह इंकार कर रहा है।