सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: सुप्रीम कोर्ट आज ईशा फाउंडेशन के खिलाफ रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज द्वारा दायर केस की सुनवाई करेगा। कामराज ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनके दो बेटियों को आश्रम में बंधक बना रखा गया है।

मामला क्या है?

कामराज ने अपनी याचिका में कहा था कि ईशा फाउंडेशन ने उनकी बेटियों, लता और गीता, को बंधक बना लिया है और उनका ब्रेनवॉश किया गया है। गीता, जो इंग्लैंड की एक यूनिवर्सिटी से M.Tech कर चुकी हैं, ने 2008 में ईशा फाउंडेशन में योग क्लासेज में भाग लेना शुरू किया। इसके बाद लता भी उनके साथ रहने लगीं। अब दोनों बहनें अपने माता-पिता से मिलने से भी इनकार कर रही हैं।

मद्रास हाईकोर्ट का आदेश

मद्रास हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी क्रिमिनल केसों की डिटेल पेश करने का आदेश दिया था। 1 अक्टूबर को, लगभग 150 पुलिसकर्मी फाउंडेशन के हेडक्वार्टर पहुंचे थे। सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद कोर्ट ने फौरी राहत देते हुए मामले की सुनवाई के लिए 18 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की।

लड़कियों का बयान

सुनवाई के दौरान, कामराज की दोनों बेटियों ने मद्रास हाईकोर्ट में पेश होकर कहा कि वे अपनी मर्जी से ईशा फाउंडेशन में रह रही हैं और उन्हें कैद में नहीं रखा गया है। फाउंडेशन ने भी दावा किया कि दोनों बहनें स्वेच्छा से उनके साथ रह रही हैं और वयस्क लोगों को अपना रास्ता चुनने की आजादी है।

हाईकोर्ट की टिप्पणी

मद्रास हाईकोर्ट ने सद्गुरु से पूछा था, “जब आपने अपनी बेटी की शादी कर दी है, तो दूसरों की बेटियों को संन्यासी बनने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं?” न्यायाधीशों ने यह भी कहा कि वे याचिकाकर्ता के साथ न्याय करना चाहते हैं, न कि किसी विशेष पक्ष का समर्थन करना।

आगे की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई आज होने वाली है, जो इस मामले में महत्वपूर्ण दिशा तय कर सकती है।